करिश्मा और रसिया भैरव गांव से शहर के एक कालेज में साथसाथ पढ़ने जाती थीं. साथसाथ रहने से उन दोनों में गहरी दोस्ती हो गई थी. उन का एकदूसरे के घरों में आनाजाना भी शुरू हो गया था.
करिश्मा के छोटे भाई अजीत ने रसिया को पहली बार देखा, तो उस की खूबसूरती को देखता रह गया. रसिया के कसे हुए उभार, सांचे में ढला बदन और रस भरे गुलाबी होंठ मदहोश करने वाले थे.
रसिया ने एक दिन महसूस किया कि कोई लड़का छिपछिप कर उसे देखता है. उस ने करिश्मा से पूछा, ‘‘वह लड़का कौन है, जो मुझे घूरता है?’’
‘‘वह…’’ कह कर करिश्मा हंसी और बोली, ‘‘वह तो मेरा छोटा भाई अजीत है. तुम इतनी खूबसूरत हो कि तुम्हें कोई भी देखता रह जाए…
‘‘ठहरो, मैं उसे बुलाती हूं,’’ इतना कह कर उस ने अजीत को पुकारा, जो दूसरे कमरे में खड़ा सब सुन रहा था.
‘‘आता हूं…’’ कहते हुए अजीत करिश्मा और रसिया के सामने ऐसा भोला बन कर आया, जैसे उस की चोरी पकड़ी गई हो.
करिश्मा ने बनावटी गुस्सा करते हुए पूछा, ‘‘अजीत, तुम मेरी सहेली रसिया को घूरघूर कर देखते हो क्या?’’
‘‘घूरघूर कर तो नहीं, पर मैं जानने की कोशिश जरूर करता हूं कि ये कौन हैं, जो अकसर तुम से मिलने आया करती हैं,’’ अजीत ने कहा.
‘‘यह बात तो तुम मुझ से भी पूछ सकते थे. लो, अभी बता देती हूं. यह मेरी सहेली रसिया है.’’
‘‘रसिया… बड़ा प्यारा नाम है,’’ अजीत ने मुसकराते हुए कहा, तो करिश्मा ने रसिया से अपने भाई का परिचय कराते हुए कहा, ‘‘रसिया, यह मेरा छोटा भाई अजीत है. इसे अच्छी तरह पहचान लो, फिर न कहना कि तुम्हें घूर रहा था.’’
‘‘ओ हो अजीत… मैं हूं रसिया. क्या तुम मुझ से दोस्ती करोगे?’’ रसिया ने पूछा.
‘‘क्यों नहीं, क्यों नहीं…’’ कहते हुए अजीत ने जोश के साथ अपना हाथ उस की ओर बढ़ाया.
रसिया ने उस से हाथ मिलाते हुए कहा, ‘‘अजीत, तुम से मिल कर खुशी हुई. वैसे, तुम करते क्या हो?’’
‘‘मैं कालेज में पढ़ता हूं. जल्दी पढ़ाई खत्म कर के नौकरी करूंगा, ताकि अपनी बहन की शादी कर सकूं.’’
रसिया जोर से हंस पड़ी. उस के हंसने से उस के उभार कांपने लगे. यह देख कर अजीत के दिल की धड़कनें बढ़ गईं.
तभी रसिया ने कहा, ‘‘वाह अजीत, वाह, तुम तो जरूरत से ज्यादा समझदार हो गए हो. सिर्फ बहन की शादी करने का इरादा है या अपनी भी शादी करोगे?’’
‘‘अपनी भी शादी कर लूंगा, अगर तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की मिली तो…’’ कहते हुए अजीत वहां से चला गया.
रात में जब अजीत अपने बिस्तर पर लेटा, तो रसिया के खयालों में खोने लगा. उसे बारबार रसिया के दोनों उभार कांपते दिखाई दे रहे थे. वह सिहर उठा.
2 दिन बाद अजीत रसिया से फिर अपने घर पर मिला. हंसीहंसी में रसिया ने उस से कह दिया, ‘‘अजीत, तुम मुझे बहुत प्यारे और अच्छे लगते हो.’’
अजीत को ऐसा लगा, मानो रसिया उस की ओर खिंच रही है. अजीत बोला, ‘‘रसिया, तुम भी मुझे बहुत अच्छी लगती हो. तुम मुझ से शादी करोगी?’’
यह सुन कर रसिया को हैरानी हुई. उस ने हड़बड़ा कर कहा, ‘‘तुम ने मेरे कहने का गलत मतलब लगाया है. तुम नहीं जानते कि मैं निचली जाति की हूं? ऐसा खयाल भी अपने मन में मत लाना. तुम्हारा समाज मुझे नफरत की निगाह से देखेगा. वेसे भी तुम मुझ से उम्र में बहुत छोटे हो. करिश्मा के नाते मैं भी तुम्हें अपना भाई समझने लगी थी.’’
अजीत कुछ नहीं बोला और बात आईगई हो गई. समय तेजी से आगे बढ़ता गया. एक दिन करिश्मा ने अपने जन्मदिन पर अपनी सहेलियों को घर पर बुलाया. काफी चहलपहल में देर रात हो गई, तो रसिया घबराने लगी. उसे अपने घर जाना था. उस ने करिश्मा से कहा, ‘‘अजीत से कह दो कि वह मुझे मेरे घर छोड़ दे.’’
करिश्मा ने अजीत को पुकार कर कहा, ‘‘अजीत, जरा इधर आना. तुम रसिया को अपनी मोटरसाइकिल से उस के घर तक छोड़ आओ. आसमान में बादल घिर आए हैं. तेज बारिश हो सकती है.’’
‘‘इन से कह दो कि रात को यहीं रुक जाएं,’’ अजीत ने सुझाया.
‘‘नहींनहीं, ऐसा नहीं हो सकता. मेरे घर वाले परेशान होंगे. अगर तुम नहीं चल सकते, तो मैं अकेले ही चली जाऊंगी,’’ रसिया ने कहा.
‘‘नहीं, मैं आप को छोड़ दूंगा,’’ कह कर अजीत ने अपनी मोटरसाइकिल निकाली, तभी हलकीहलकी बारिश शुरू हो गई. कुछ फासला पार करने पर तूफानी हवा के साथ खूब तेज बारिश और ओले गिरने लगे. ठंड भी बढ़ गई थी.
रसिया ने कहा, ‘‘अजीत, तेज बारिश हो रही है. क्यों न हम लोग कुछ देर के लिए किसी महफूज जगह पर रुक कर बारिश के बंद होने का इंतजार कर लें?’’
‘‘तुम्हारा कहना सही है रसिया. आगे कोई जगह मिल जाएगी, तो जरूर रुकेंगे.’’
बिजली की चमक में अजीत को एक सुनसान झोंपड़ी दिखाई दी. अजीत ने वहां पहुंच कर मोटरसाइकिल रोकी और दोनों झोंपड़ी के अंदर चले गए.
अजीत की नजर रसिया के भीगे कपड़ों पर पड़ी. वह एक पतली साड़ी पहन कर सजधज कर करिश्मा के जन्मदिन की पार्टी में गई थी. उसे क्या मालूम था कि ऐसे हालात का सामना करना पड़ेगा. पानी से भीगी साड़ी में उस का अंगअंग दिखाई दे रहा था.
रसिया का भीगा बदन अजीत को बेसब्र कर रहा था. वह बारबार सोचता कि ऐसे समय में रसिया उस की बांहों में समा जाए, तो उस के जिस्म में गरमी भर जाए,
कांपती हुई रसिया ने अजीत से कुछ कहना चाहा, लेकिन उस की जबान नहीं खुल सकी. लेकिन ठंड इतनी बढ़ गई थी कि उस से रहा नहीं गया. वह बोली, ‘‘भाई अजीत, मुझे बहुत ठंड लग रही है. कुछ देर मुझे अपने बदन से चिपका लो, ताकि थोड़ी गरमी मिल जाए.’’
‘‘क्यों नहीं, भाई का फर्ज है ऐसी हालत में मदद करना,’’ कह कर अजीत ने रसिया को अपनी बांहों में जकड़ लिया. धीरेधीरे वह रसिया की पीठ को सहलाने लगा. रसिया को राहत मिली.
लेकिन अब अजीत के हाथ फिसलतेफिसलते रसिया के उभारों पर पड़ने लगे और उस ने समझा कि रसिया को एतराज नहीं है. तभी उस ने उस के उभारों को दबाना शुरू किया, तो रसिया ने अजीत की नीयत को भांप लिया.
रसिया उस से अलग होते हुए बोली, ‘‘अजीत, ऐसे नाजुक समय में क्या तुम करिश्मा के साथ भी ऐसी ही हरकत करते? तुम्हें शर्म नही आई?’’ कहते हुए रसिया ने अजीत के गाल पर कस कर चांटा मारा.
यह देख कर अजीत तिलमिला उठा. उस ने भी उसी तरह चांटा मारना चाहा, पर कुछ सोच कर रुक गया.
उस ने रसिया की पीठ सहलाते हुए जो सपने देखे थे, वे उस के वहम थे. रसिया उसे बिलकुल नहीं चाहती थी. जल्दबाजी में उस ने सारा खेल ही खत्म कर दिया. अगर रसिया ने उस की शिकायत करिश्मा से कर दी, तो गड़बड़ हो जाएगी.
अजीत झट से शर्मिंदगी दिखाते हुए बोला, ‘‘रसिया, मुझे माफ कर दो. मेरी शिकायत करिश्मा से मत करना.’’
‘‘ठीक है, नहीं करूंगी, लेकिन इस शर्त पर कि तुम यह सब बिलकुल भूल जाओगे,’’ रसिया ने कहा.
‘‘जरूरजरूर. दोबारा मैं ऐसा नहीं करूंगा. मैं ने समझा था कि दूसरी निचली जाति की लड़कियों की तरह शायद तुम भी कहीं दिलफेंक न हो.’’
‘‘तुम्हारे जैसे बड़े लोग ही हम निचली जाति की लड़कियों से गलत फायदा उठाने की कोशिश करते हैं. सभी लड़कियां कमजोर नहीं होतीं. अब यहां रुकना ठीक नहीं है. बारिश भी कम हो गई है. अब हमें चलना चाहिए,’’ रसिया ने कहा.
दोनों मोटरसाइकिल से रसिया के घर पहुंचे. रसिया ने बारिश बंद होने तक अजीत को रोकना चाहा, लेकिन वह नहीं रुका.
उस दिन के बाद से अजीत अपने गाल पर हाथ फेरता, तो गुस्से में उस के रोंगटे खड़े हो जाते.
अजीत रसिया के चांटे को याद करता और तड़प उठता. सोचता कि रसिया ने चांटा मार कर उस की जो बेइज्जती की है, वह उसे जिंदगीभर भूल नहीं सकता. उस चांटे का जवाब वह जरूर देगा.
उस दिन करिश्मा के यहां खूब चहलपहल थी, क्योंकि उस की सगाई होने वाली थी. उस की सहेलियां नाचनेगाने में मस्त थीं. रसिया भी उस जश्न में शामिल थी, क्योंकि वह करिश्मा की खास सहेली जो थी. वह खूब सजधज कर आई थी.
अजीत भी लड़कियों के साथ नाचने लगा. उस की नजर जब रसिया से टकराई, तो दोनों मुसकरा दिए. अजीत ने उसी समय मौके का फायदा उठाना चाहा.
अजीत ने झूमते हुए आगे बढ़ कर रसिया की कमर में हाथ डाला और अपनी बांहों में कस लिया. फिर उस के गालों को ऐसे चूमा कि उस के दांतों के निशान रसिया के गालों पर पड़ गए.
यह देख रसिया तिलमिला उठी और धक्का दे कर उस की बांहों से अलग हो गई.
रसिया ने उस के गाल पर कई चांटे रसीद कर दिए. जश्न में खलबली मच गई. पहले तो लोग समझ ही नहीं पाए कि माजरा क्या है, लेकिन तुरंत रसिया की कठोर आवाज गूंजी, ‘‘अजीत, तुम ने आज इस भरी महफिल में केवल मेरा ही नहीं, बल्कि अपनी बहन औेर सगेसंबंधियों की बेइज्जती की है. मैं तुम पर थूकती हूं.
‘‘मैं सोचती थी कि शायद तुम उस दिन के चांटे को भूल गए हो, पर मुझे ऐसा लगता है कि तुम यही हरकतें अपनी बहन करिश्मा के साथ भी करते होगे.
‘‘अगर मैं जानती कि तुम्हारे दिल में बहनों की इसी तरह इज्जत होती है, तो यहां कभी न आती. ’’
रसिया ने करिश्मा के पास जा कर उस रात की घटना के बारे में बताया और यह भी बताया कि अजीत ने उस से भविष्य में ऐसा न होने के लिए माफी भी मांगी थी.
करिश्मा का सिर शर्म से झुक गया. उस की आखों से आंसू गिर पड़े.
करिश्मा की दूसरी सहेलियों ने भी अजीत की थूथू की और वहां से बिना कुछ खाए रसिया के साथ वापस चली गईं.
नासमझ अजीत ने रसिया को जलील नहीं किया था, बल्कि अपने परिवार की बेइज्जती की थी.