बरसों बाद
जो लहरा के आया
एक तरंगित प्यार का झोंका
एक अटूट सिलसिला
और मदहोश-बेकल गुनगुनाती हवा
 
बरसों बाद
सुकून के गलियारे और रौनक 
पुकार उठे हैं
तुम्हारी बांहों की अलौकिक सुगंध
और मेरी लजीली आंखों की मिचौनी
 
बरसों बाद
फिर गुनगुनाती हैं
सुरमई शाम की अठखेलियां
खिलखिलाने की शोखियां
और आप के बेहिजाब बालों की मादकता
 
बरसों बाद
आई है पुरवाई
प्रणय-बेला सी
अब तो रहें आप ही आप
और रहे सिर्फ आप का प्यार.
प्रमोद सिंघल
 

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