मेरे भीतर उतरती है
तेरे प्यार की रोशनी
कुछ इस तरह
यों चली आए
धूप
अंधेरी गुफाओं की
जमीन तक
सदियों से बंद हैं
कुछ बीती कहानियां
कुछ तड़पते एहसास
कुछ
सपने अपने
चलो
आज फिर से इन्हें
मुक्त करें…
फिर नई कहानी
की तलाश में
मन आकाश से
युक्त करें…
सुनो, चलोगे मेरे साथ
किसी और गहराई में
बंद गुफा से निकल कर
आकाश की ऊंचाई में…
अपना मन तो टटोलो
बोलो,
कुछ तो बोलो.
– डा. प्रिया सूफी
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