तुम्हारा साया
तुम्हें खोजते हुए मुझे पाता था
माथे की सूर्यकिरण
बरौनियों से झांकती हुई
मेरे गालों पर पड़ती थी
तुम्हारा प्रेम मेरे लिए
तुम्हारी प्यास
मेरे होंठों पर थी
तुम्हारी खामोशी में अर्थ खोजता
मासूमियत से उधेड़बुन में लिपटा
मेरा मन था
ओह
यह क्षणभंगुर स्वप्न
मेरी देह पर पड़ा
कुछ और नहीं, नील चिह्न है.
– हेमलता यादव
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