हम ने उन्हें मूरत क्या कह दिया

वो रातभर चेहरे को छिपाते रहे

अल्फाज ये दुहराने के लिए

वो घंटों मुझे सताते रहे

कभी हथेली से चेहरे को छिपा कर

कभी घूंघट से सिर को सजा कर

बैठ कर आईने के सामने कभी

वो यों ही सारी रात मुसकराते रहे

ये उन के प्यार के हैं इशारे कैसे

हमें उन के ख्वाब कोरे ही आते रहे

होगी इस रात की सुबह भी कभी

रातभर सपने कोरे देखते रहे.

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