इक बात तुम्हारे मन में है
इक बात हमारे मन में है
लेकिन इतना भान रहे बस-
न तुम बोलो न मैं बोलूं
मूक नयनों को बोलने दो
भाव हृदय के डोलने दो
तड़पने में ही जिंदगी है
पीर को घूंघट खोलने दो
इक दर्द तुम्हारे दिल में है
इक दर्द हमारे दिल में है
लेकिन इतना ध्यान रहे बस-
न तुम बोलो न मैं बोलूं
चुपकेचुपके बहती समीर
कानों में कुछ कहे जा रही
सांसों की गगरिया छलकती
प्यासों में ही लुटी जा रही
इक प्यास तुम्हारे दिल में है
इक प्यास हमारे दिल में है
लेकिन इतना ज्ञान रहे बस-
न तुम बोलो न मैं बोलूं
अपनेपन में खो जाने दो
गंध हृदय की पा लेने दो
पड़ी अधूरी अभी साधना
मुझ को मीठा गम सहने दो
इक आस तुम्हारे दिल में है
इक आस हमारे दिल में है
लेकिन इतना ध्यान रहे बस-
न तुम बोलो, न मैं बोलूं.
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