गुजारिश आजाद हवाओं से

जबजब उस गली से गुजरना

मेरी वफाओं की महक से

घर उस का महका आना

सिफारिश मनचले बादलों से

जब उस महल पर उड़ना

चाहत के कुछ रंग

उस अट्टालिका पे बरसा आना

कबूतरो, आज मौसम साफ है

चलो निकलो, उड़ो

तुम्हारा कोई बहाना,

आज न चलेगा

मेरा संदेश, उस के हाथों में

सौंप कर आओ

आज का दिन है बड़ा

न डरो, सूरज देर से ढलेगा

गुजारिश डायरी के पन्नों से

बताऊं कब क्या हुआ था

कहां कब हम मिले थे

बिछड़े तो क्या किया था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...