किस तरह हो ये एतबार मुझे
कोई चाहे दीवानावार मुझे
सबकी नज़रों से बचा कर नज़रें
देखता है वो बार बार मुझे
तू मेरे नाम पे सजदा करके
क्यों बनाता है गुनहगार मुझे
उन निगाहों की कशिश मत पूछो
न रहा खुद पे इख़्तियार मुझे
वो मिला था क़रार-ए-जां की तरह
चल दिया करके बेक़रार मुझे....
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
(1 साल)
USD48USD10
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
(1 साल)
USD100USD79
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और





