आंखों का मुसकराना
दिल के भीतर तक उतर जाना
होंठों को दबाना
यौवन का गजब का कहर ढाना.

फूलों में सौंदर्य के साथ
खुशबू होना भी जरूरी है
पलकों को उठाना और झुकाना
तितलियों का दामन बचा जाना.

बसंती धूप में आंचल सरकता
मदहोश होती दिशाएंरूप के सागर में उतर कर
आप कोई मोती ढूंढ़ लाना.

नजरों की इनायत होती उस पर
जो सही माने में हकदार है
फूलों की चाहत के लिए सचमुच
कांटों की दहलीज से गुजर जाना.

मुसकराहट है ऐसी आप की जिस में
तड़प हो तप्त यौवन की
अधर हैं सुर्ख गुलाब से
पंखडि़यों का आंचल में बिखर जाना.
कदम उठाओ बन जाए खूबसूरत
फिजाएं तो जाने कमल
अंजुरि में समेटो सौंदर्य प्यार की
जरा हद से गुजर जाना.

– कमलसिंह चौहान

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