गुनगुनाती हुई फलक से

गिर रही हैं बूंदे

लगता है कोई बदली

तेरी पाजेब से टकराई है.

इन पैरों की रूनझुन

उतर गई दिल में

लगता है सरगम

पायल ने खुद गाई है.

हर आहट की झनक

दिल को लगे ऐसी

सोए अरमानों ने

दिल में ली अंगड़ाई है.

हर छनक खुशबू सी बन

फिजा में महकी ऐसे

लगता है वीरानें में

बहार आई है.

जमीं पर संगीत

तेरी पायल का बजा

कि अप्सरा कोई

पूजा के लिए आई है.

‘कुछ पल और’ भी

छनक जाए पायल तेरी

लगेगा ऐसे में

सुबहसुबह बांसुरी

किसी ने बजाई है.

-रेणु आहूजा

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...