गुनगुनाती हुई फलक से

गिर रही हैं बूंदे

लगता है कोई बदली

तेरी पाजेब से टकराई है.

इन पैरों की रूनझुन

उतर गई दिल में

लगता है सरगम

पायल ने खुद गाई है.

हर आहट की झनक

दिल को लगे ऐसी

सोए अरमानों ने

दिल में ली अंगड़ाई है.

हर छनक खुशबू सी बन

फिजा में महकी ऐसे

लगता है वीरानें में

बहार आई है.

जमीं पर संगीत

तेरी पायल का बजा

कि अप्सरा कोई

पूजा के लिए आई है.

‘कुछ पल और’ भी

छनक जाए पायल तेरी

लगेगा ऐसे में

सुबहसुबह बांसुरी

किसी ने बजाई है.

-रेणु आहूजा

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