पल जो अनजाने में पीछे छोड़ आए हम
वक्त से आज फिर उन्हें छीन लाएं हम
सूख रहा प्रेमरस अजब सी तपिश है
बूंदबूंद सागर फिर से भर लाएं हम
हम चुप बने रहें और समझ जाओ तुम
खामोशियों में अपनी बात कह जाएं हम
शब्दशब्द चुन कोई प्रेमग्रंथ हम लिखें
प्रेमभाव के मधुरस में डूब जाएं हम
तोड़ न सके जिसे वक्त का सितम
प्रेम के ऐसे बंधन में बंध जाएं हम
वक्त की धूल जिस पर न छा सके
मुहब्बत का ऐसा नाम बन जाएं हम
मन के दर्पण पर कुछ धुंध सी जम गई
कुहासे में उजली धूप बन जाएं हम
नेह की फुहार मन के आंगन में बरसे
प्रेमसरिता के प्रवाह में बह जाएं हम
बात मुहब्बत की हो तो बात हो हमारी
जहांभर में मिसाल बन जाएं हम
मैं रहूं न मैं, तुम रहो न तुम
मैं-तुम भूल, हम हो जाएं हम
चलो एक बार फिर हम हो जाएं हम
सब भूल एकदूजे में खो जाएं हम.
- रीता कौशल