रुत मनुहार की आई है
संग सजनी का प्यार लाई है
नैन तेरे छलकते पैमाने
डूब गए कितने इन में दीवाने
होंठ तेरे दो गुलाबी कंवल
दिल चाहे उन पे, लिखूं मैं गजल
आंखों का काजल
जुल्फों की बदरी
आने दे ख्वाबों में
मुझे प्यारी पगली
दिल को सुकूं आए ऐसे यारा
पानी से बुझता जैसे अंगारा.
– प्रीति पोद्दार
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