उन के पांवों का चुंबन
ले आ
चंचल हवा
तुझे सीने से अपने
लगा लूंगी मैं
उन के साए को
धीरे से छूना
नाजुक जिस्म है
छिल जाएगा
उन के दामन से
न उलझना कभी
वो हैं शर्मोहया की पाक अदा
तुम हो गरम हवा
एक पल भी ठहरना नहीं
उन की खुशबू
तुम में बिखर जाएगी
वो हैं नाजुक कली
दूर हूं आज उन से
पर गम नहीं, जख्म सीने पर है
पर आंखें नम नहीं
तेरे आने से
पता चल गया
मिलने से पहले
हाल उन का मिल गया.
– पूनम सिंह सेंग
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