मंदिर मसजिद निराधार
दिल का सुकूं, तुम्हारा प्यार
कह दो दुनिया से
मेरी आस हो तुम
मेरा चैन हो
विश्वास हो तुम
अब कोई पूजा
काम न आएगी
तुम्हारे स्पर्श से
ये लौ जल जाएगी
सब मिथ्या है
सब भ्रम है
जिस में तुम नहीं
वह क्या जीवन है?
मेरी जान हो तुम
अरमान हो तुम
मैं तो केवल नाम हूं
मेरी पहचान हो तुम.
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