मंदिर मसजिद निराधार

दिल का सुकूं, तुम्हारा प्यार

कह दो दुनिया से

मेरी आस हो तुम

मेरा चैन हो

विश्वास हो तुम

अब कोई पूजा

काम न आएगी

तुम्हारे स्पर्श से

ये लौ जल जाएगी

सब मिथ्या है

सब भ्रम है

जिस में तुम नहीं

वह क्या जीवन है?

मेरी जान हो तुम

अरमान हो तुम

मैं तो केवल नाम हूं

मेरी पहचान हो तुम.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...