केदारनाथ धाम में मुंबई के मेरे एक दोस्त पिछले दिनों केदारनाथ धाम आए थे. अपने आने की खबर उन्होंने मुझे पहले से दे दी थी. वे एक होटल में ठहरे थे.
उन से मुलाकात कर के मैं वापस लौट रहा था. रास्ते में देखा कि एक कोढ़ी खस्ता हालत में शिवलिंग के दर्शन के लिए गुजरात से आया था.
वह कोढ़ी पूरी शिद्दत से मंदिर के अंदर चला गया. सब लोग लाइन में खड़े थे, तभी उस कोढ़ी के पास एक पंडा आया. उस कोढ़ी ने जेब से 500 रुपए निकाल कर पंडे को दे दिए. पंडा उसे स्पैशल पूजा के रास्ते से मंदिर के भीतर ले गया.
पूजा के बाद पंडा तो खिसक गया, लेकिन उस कोढ़ी ने शिवलिंग को कस कर पकड़ते हुए कहा, ‘‘महाराज, मैं गुजरात से आया हूं. न जाने मैं ने पिछले जन्म में क्या पाप किया था, जो मैं कोढ़ी हो गया...’’
वह कोढ़ी शिवलिंग पर ऐसे चिपटा हुआ था, मानो उस का कोढ़ गायब हो जाएगा. वह शिवलिंग को छोड़ने के मूड में नहीं था, तभी वहां तमाम भक्तों की भीड़ लग गई. सभी दर्शनों के लिए बेचैन थे. दूसरे पंडे उसे शिवलिंग को छोड़ने के लिए लगातार कह रहे थे, पर वह उन की बात न सुन कर केवल रोए जा रहा था.
हार कर 4 पंडे और आए और उसे जबरन घसीट कर मंदिर से बाहर ले गए.
गुस्से में आगबबूला हो कर पंडे उसे गालियां देने लगे. कुछ पंडे उस पर लातें चला रहे थे, तो कई घूंसे जमा रहे थे.
थोड़ी देर बाद वह कोढ़ी लहूलुहान हो कर सीढ़ी के किनारे आ बैठा.
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