‘‘आजफिर देर हो गई औफिस में?’’ आशिमा ने रोहन से पूछा.
‘‘हां...,’’ रोहन सिर्फ इतना बोला.
फिर आशिमा डाइनिंग टेबल पर खाना लगाने चल दी और रोहन हाथमुंह धो कर टीवी के सामने बैठ गया. इतनी संक्षिप्त बातचीत देख कर कौन कह सकता था इन की शादी को मात्र 2 वर्ष ही बीते थे. दोनों का दिन का सारा समय औफिस के काम बीतता था और जब घर लौट कर आते थे तो भी दोनों अपनेअपने लैपटौप पर ही व्यस्त रहते थे. शुरूशुरू में एकदूसरे के दफ्तर के कामकाज व कार्यप्रणाली पर दोनों में कुछ देर बातचीत हो जाया करती थी पर अब यह भी नहीं होता. एक दिन औफिस में आशिमा अपने कार्य में व्यस्त थी कि सैलफोन घनघना उठा. उस ने स्क्रीन पर पुरानी सहेली रिया का नाम देखा तो लपक कर फोन उठाया.
‘‘और भई, हाऊ इज लाइफ?’’ रिया पूरे उत्साह से बात कर रही थी.
‘‘कूल,’’ आशिमा को शायद संक्षिप्त बात करने की आदत हो गई थी.
‘‘कूल या फिर हौट?’’ रिया ने मजाकिया अंदाज में उसे छेड़ा.
‘‘अरे, क्या हौट यार. अपनीअपनी नौकरी में दोनों व्यस्त रहते हैं. आजकल तो फिल्म देखने भी नहीं जाते.’’
ये भी पढ़ें- खुद की तलाश : भाग 3
‘‘आशिमा, तेरी आवाज में वह बात नहीं. यार कोई बात हुई है क्या रोहन के साथ?’’ रिया पुरानी सहेली थी, आशिमा की सुस्ती को फौरन भांप गई.
‘‘नहींनहीं, ऐसा कुछ नहीं,’’ आशिमा बोली.
‘‘तो ठीक है. मैं इस वीकैंड का प्रोग्राम बना रही हूं. उस दिन सुबह 10 बजे मिलते हैं और कहीं घूमने चलते हैं.’’
आशिमा ने देर रात जब रोहन घर लौटा तो उसे रिया से मुलाकात का प्रोग्राम बताया और बोली, ‘‘तुम भी चलो न. शनिवार को तो छुट्टी है न तुम्हारी. काफी दिनों से हम कहीं गए भी नहीं हैं.’’