रात के 9 बज चुके थे. टीवी चैनल पर ‘कौन बनेगा करोड़पति’ प्रोग्राम शुरू हो चुका था. मैं जल्दी से मेज पर खाना लगा कर प्रोग्राम देखने के लिए बैठना ही चाहती थी, तभी फोन की घंटी बज उठी. आनंद प्रोग्राम छोड़ कर उठना नहीं चाहते थे, सो मुझे फोन की ओर बढ़ता देख बोले, ‘‘मेरे लिए हो तो नाम पूछ लेना, मैं बाद में फोन कर लूंगा.’’

मेरे रिसीवर उठाते ही अजनबी आवाज कानों में पड़ी. संक्षिप्त परिचय के बाद अत्यंत दुखद समाचार मिला कि आनंद की उदयपुर वाली मौसी के एकलौते जवान बेटे की ऐक्सिडैंट में मौत हो गई है. फोन सुनते ही मैं स्तब्ध रह गई.

मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि यह दुखद समाचार मैं आनंद को कैसे दूं. खाना मेज पर लगा था. मैं सोच में पड़ गई कि क्या पहले खाना खा लेने दूं, फिर बताऊं? लेकिन मेरे दिलोदिमाग ने चेहरे का साथ नहीं दिया. मुझे देखते ही आनंद हैरान हो गए, बोले, ‘‘क्या हुआ? किस का फोन था?’’

आनंद के पूछते ही मैं स्वयं को रोक न सकी और भीगी आंखों से उन्हें पूरी बात बता दी. सुनते ही आनंद गुमसुम से हो गए. मैं भी परेशान हो उठी थी. टीवी प्रोग्राम में अब मन नहीं लग रहा था. उस प्रोग्राम से कई गुना बड़े सवाल हमारे मन में उठने लगे थे. प्रोग्राम में पूछे जा रहे सवालों का तो 4 में से एक सही उत्तर भी था, लेकिन मन में उठ रहे सवालों का हमारे पास कोई उत्तर न था.

बच्चे हमें देख कर सहम से गए थे. उन्हें तो जैसेतैसे खाना खिला कर सुला दिया, लेकिन हम दोनों चाह कर भी कुछ न खा पाए.

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