यह बात निखिल भी जानता था कि रचना ‘शॉर्ट-टेंपर लड़की है. उसे जल्दी गुस्सा आ जाता है. लेकिन उसकी यही आदत शादी के बाद निखिल को बुरी लगने लगी थी. उनके बीच बातचीत बंद हुए आज चार दिन हो चुके थे. घर अजीब सा लगने लगा था. एक तो लॉकडाउन में वैसे ही सब उदास-उदास लग रह था, ऊपर से घर का ऐसा माहौल, मालती को और बिचलित कर रहा था. वह माहौल को हल्का करने की कोशिश कर रही थी, पर कोई झुकने को तैयार नहीं था. माँ के समझाने पर, अगर निखिल रचना से बात करने की कोशिश भी करता, तो वह अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लेती और कहती कि गलती हो गई उससे निखिल से शादी करने का फैसला लेकर. और निखिल का गुस्सा फिर बढ़ जाता. बात सुलझने के बजाय और उलझता जा रहा था.
उस दिन मालती जब रचना के कमरे में चाय-नास्ता लेकर गई, तो देखा रचना बिछावन पर लेटी छटपटा रही है. पूछने पर बताया कि उसे मासिक धर्म आया है इसलिए पेट में दर्द हो रहा है. दर्द के मारे रात भर वह सो भी नहीं पाई. रचना को अक्सर ऐसा होता है, इसलिए वह पेट दर्द की दवाई रखती है, पर दवाई खत्म हो गई है और लॉकडाउन में लाए कैसे? निखिल को जब पता चला कि पेट दर्द के कारण रचना रात भर सो नहीं पायी, तो वह भी छटपटा उठा. रचना को लेकर उसके मन में जो गुस्सा था, वह पल भर में काफ़ुर हो गया. तुरंत निखिल दवाई लाने घर से निकल गया. यह भी नहीं सोचा उसने कि पुलिस उसे रोकेगी या डंडे बरसाएगी. इधर मालती रचना के सिर अपने गोद में लेकर सहलाने लगी ताकि उसे नींद आ जाए. मालती के प्यार भरे स्पर्श से कुछ ही पलों में रचना की आँखें लग गई. कुछ घंटे बाद जब उसकी आँखें खुली तो देखा मालती उसके सिहरने बैठी है. और निखिल बाहर से ही ताक-झांक कर रहा है।