लेखक- सुदर्शन कुमार सोनी

श्रवण कुमार केवल पहले ही नहीं, आज के समय में भी काफी पाए जाते हैं. यदि आप को विश्वास नहीं है तो गंगाधर के पास आ कर स्थानांतरण के इन आवेदनों को पढ़ लें. आंखों का जाला हट जाएगा, एक नहीं अनेक श्रवण कुमार मिलेंगे. स्थापना शाखा में पदस्थापना होने से गंगाधार का दिनभर वास्ता स्थानांतरणों संबंधी भिन्नभिन्न तरह की अर्जियों से पड़ता. क्या महिला क्या पुरुष, क्या कनिष्ठ क्या वरिष्ठ, क्या मैदानी क्या कार्यालय पदस्थापना वाले कर्मी. सब के सबों के स्थानांतरण के भिन्नभिन्न आवेदनों में एक तरह की अभिन्नता रहती.

मां-बाप के प्रति उमड़ता ऐसा श्रद्धाभाव देख श्रवण कुमार भी सकुचा जाता. गंगाधर ठहरा एक होनहार कर्मी. तो उस ने डाटा एनालिसिस के इस युग में स्थानांतरण के आवेदन पत्रों का विश्लेषण करना शुरू कर दिया. किसकिस बीमारी के कितने प्रतिशत आवेदन हैं. एक व्यक्ति आखिर स्थानांतरण चाहता क्यों है. बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए, पदस्थापना स्थल में मनोरंजन के साधनों की कमी, मांबाप या सासससुर की बीमारी या अन्य किसी कारण से.

ये भी पढ़ें- कच्ची गली -भाग 1: रेप की घिनौनी घटना के बारे में पढ़कर विपिन चिंतित क्यों हो

बड़े गजब के रुझान सामने आए. उन में से कुछ प्रमुख आप के लाभार्थ नीचे हैं. 90 प्रतिशत आवेदन मांबाप की बीमारी हेतु देखभाल के वास्ते होते हैं. इस में 70 प्रतिशत से अधिक कैंसर या हार्ट या किडनी आदि गंभीर बीमारियों वाले होते हैं. इन सभी आवेदकों के माता या पिता अत्यधिक बुजुर्ग होते हैं. 21 साल के रंगरूट व 42 साल के पके कर्मी दोनों के ही मातापिता अनिवार्यतौर से अत्यधिक पके हुए यानी बुजुर्ग होते हैं. बुजुर्ग के साथ ही साथ वे किसी न किसी असाध्य बीमारी से भी अवश्य पीडि़त रहते हैं. कुछ आवेदन तो 50 वर्ष पार कर चुके कर्मियों के होते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...