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काश ऐसा हो पाता
सुमन और सुधाकर विभागीय प्रतिस्पर्धा के चलते जुदा हो तो गए लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ जिस ने उन की व परिवार की दूरियां मिटा दीं.
भाग - 1
चारों तरफ से पर्वतों से घिरे नाथुला दुर्ग को सूर्य की रश्मियां जैसे अलौकिक आभा प्रदान कर रही थीं. वहां पहुंचते ही सुमन का मन अभिभूत हो गया.
भाग - 2
वह चौंक कर बैठ गई, ‘क्या सचमुच, वह भारत-चीन की सीमा देख सकती है. क्या आर्मी वाले उसे वहां जाने देंगे?’
भाग - 3
उस समय उन दोनों को पता नहीं था कि झगड़े की वजह क्या है. सिर्फ आंसुओं से भरी उदास आंखों से सुधाकर के घर को देखते हुए वह गाड़ी में चढ़ी थी.
भाग - 4
सुमन के मम्मीपापा को इस में आपत्ति नहीं थी मगर उन्होंने इस के पूर्व सुधाकर से मिलने की इच्छा जताई.
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