0:00
12:24

कहानी- अवनीश शर्मा

शिखा और मैं 1 सप्ताह नैनीताल में बिता कर लौटे हैं. वह अपनी बड़ी बहन सविता को बडे़ जोशीले अंदाज में अपने खट्टेमीठे अनुभव सुना रही है.

सविता की पूरी दिलचस्पी शिखा की बातों में है. मैं दिवान पर लेटालेटा कभी शिखा की कोई बात सुन कर मुसकरा पड़ता हूं तो कभी छोटी सी झपकी का मजा ले लेता हूं.

मेरी सास आरती देवी रसोई में खाना गरम करने गई हैं. मुझे पता है कि सारा खाना सविता पहले ही बना चुकी हैं.

सारा भोजन मेरी पसंद का निकलेगा, पुराने अनुभवों के आधार पर मेरे लिए यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं. ससुराल में मेरी खूब खातिर होती है और इस का पूरा श्रेय मेरी बड़ी साली सविता को ही जाता है.

शिखा अपनी बड़ी बहन सविता के बहुत करीब है, क्योंकि वह उस की सब से अच्छी सहेली और मार्गदर्शक दोनों हैं. शायद ही कोई बात वह अपनी बड़ी बहन से छिपाती हो. उन की सलाह के खिलाफ शिखा से कुछ करवा लेना असंभव सा ही है.

ये भी पढ़ें- सनक

‘‘हमें पहला बच्चा शादी के 2 साल बाद करना चाहिए,’’ हमारी शादी के सप्ताह भर बाद ही शिखा ने शरमाते हुए यों अपनी इच्छा बताई तो मैं हंस पड़ा था.

‘‘मैं तो इतना लंबा इंतजार नहीं कर सकता हूं,’’ उसे छेड़ने के लिए मैं ने उस की इच्छा का विरोध किया.

‘‘मेरे ऐसा कहने के पीछे एक कारण है.’’

‘‘क्या?’’

‘‘इन पहले 2 सालों में हम अपने वैवाहिक जीवन का भरपूर मजा लेंगे, सौरभ. अगर मैं जल्दी मां बनने के झंझट में फंस गई तो हो सकता तुम इधरउधर ताकझांक करने लगो और वह हरकत मुझे कभी बरदाश्त नहीं होगी.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...