पूर्व कथा
विपुल में गजब का आत्मविश्वास था, जिसे देख कर बी.काम के पश्चात बिना अनुभव के अकाउंट विभाग में महेशजी का सहायक नियुक्त कर दिया गया. वह 80 किलोमीटर दूर नवगांव से आफिस समय से पहले पहुंच जाता.
काम में वह तेज था और स्वभाव में विनम्र. बस बुराई थी तो एक, उस का बढ़चढ़ कर बोलना.
विपुल ने अपनी बातों, कपड़ों, रहनसहन से आफिस वालों को अपने अमीर होने का एहसास दिला दिया. आएदिन आफिस वालों को दावत देता रहता. अपनी बातों से सब को खुश रखता था इसलिए सभी उस से प्रभावित भी थे.
आफिस की कंप्यूटर आपरेटर श्वेता के साथ उस के अफेयर की खबर गरम थी. लेकिन उस की काम के प्रति ईमानदारी और व्यवहारकुशलता के कारण किसी को उस से कोई शिकायत न थी.
वह अपनी बहन की शादी का न्योता आफिस वालों को देता है. विवाह भव्य तरीके से हो रहा है और विवाह के बाद रात को नवगांव से वापसी का सारा प्रबंध विपुल ने कर रखा है, यह जान कर सभी आफिस वाले विवाह में जाने के लिए तैयार हो जाते हैं.
अब आगे...
विपुल की बहन की शादी के दिन पूरे आफिस का स्टाफ नए शानदार चमकते कपड़े पहन कर आफिस आया. ऐसा लगा मानो आफिस बरातघर बन गया हो. महेश को संबोधित करते हुए मैं ने पूछा, ‘‘क्या बात है, श्वेता नजर नहीं आ रही?’’
‘‘सर, आप भी क्या मजाक करते हैं, शादी से पहले अपनी ससुराल कैसे जा सकती है. बस, आज बहन की शादी हो जाए, अगले महीने विपुल का भी बैंड बजा समझें.’’ लंच के बाद सभी बस अड्डे पहुंच गए. थोड़ी देर इंतजार करने के बाद नवगांव की बस मिली. लगभग 4 बजे बस चली. बस चलते ही महेश और सुषमा शादी की बातें करने लगे, खासतौर से शादी के इंतजाम के बारे में और मैं उन की पिछली सीट पर बैठा मंदमंद मुसकराने लगा. तभी मेरे साथ सीट पर बैठे सज्जन ने बीड़ी सुलगाई और मेरे से पूछा, ‘‘भाई साब, क्या आप भी इन लोगों के साथ नवगांव जा रहे हैं बिहारी की छोरी की शादी में?’’
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