20 वर्षीय फिरदौस का चेहरा महज चेहरा नहीं एक ग्रंथ था. जीवन को पूरी शिद्दत के साथ जीने वाले फिरदौस के साथ बिताया आखिरी दिन आज भी उस का दिल दहला देता है. क्या था फिरदौस का सच जिस ने उसे महान बना दिया?