देखने सुनने व पढ़ने वालों को तो यही लगेगा कि मैं कोई चरित्रहीन स्त्री हूं पर मुझे समझ नहीं आता कि क्या मैं इन दिनों सचमुच एक चरित्रहीन स्त्री की तरह व्यवहार कर रही हूं. अपने मनोभाव प्रकट करना, किसी को अपने दिल की बात समझाना मेरे लिए बहुत मुश्किल है. वैसे भी, दिल की मुश्किल बातें समझनासमझाना सब के लिए आसान है क्या? मैं रश्मि, एक विवाहित स्त्री, एक युवा बेटी पलाक्षा की मां और एक बेहद अच्छे इंसान अजय की पत्नी, अगर किसी विवाहित परपुरुष में दिलचस्पी ले कर अपने रातदिन का चैन खत्म कर लूं तो क्या कहा जाएगा इसे?

मुझे अजय से कोई शिकायत नहीं, पलाक्षा से भी बहुत प्यार है. फिर, सोहम के लिए मैं इतनी बेचैन क्यों हूं, समझ नहीं आता. उस की एक झलक पाने के लिए अपने फ्लैट के कोनेकोने में भटकती रहती हूं. वह जहांजहां से दिख सकता है वहांवहां मंडराती रहती हूं रातदिन. अगर कोई ध्यान से मेरी गतिविधियों को देखे तो उसे मेरी हालत किसी 18 साल की प्यार में पड़ी चंचल किशोरी की तरह लगेगी. और मैं शक के घेरे में तुरंत आ जाऊंगी. पर उम्र के इस पड़ाव पर जैसी मैं दिखती हूं, मेरे बारे में कोई यह सोच भी नहीं सकता कि क्या अंतर्द्वंद्व मचा रहता है मेरे दिल में.

मैं बिलकुल नहीं चाहती कि मैं किसी परपुरुष की तरफ आकर्षित होऊं. पर क्या करूं, दिल पर कभी किसी का जोर चला है, जो मेरा चलेगा. लेकिन नहीं, यह भी नहीं कह सकते. सोहम का चलता है न अपने दिल पर जोर. मुझ में रुचि रखने के बाद भी वह कितनी मर्यादा, कितनी सीमा में रहता है. उस की पत्नी है,

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