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कृष्णा बुरी तरह टूट गया. परिणामस्वरूप, उस के स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ गया. हालांकि, उस की तनख्वाह कम न थी. तो भी, 10 साल की कमाई पानी में बह जाए, तो क्या उसे भूल पाना आसान होगा? वह भी ऐसे आदमी के लिए जो बिना मेहनत अमीर बनने की ख्वाहिश रखता हो. कृष्णा अनमने सा रहने लगा. उस का किसी काम में मन न लगता. कब क्या बोल दे, कुछ कहा न जा सकता था. कभीकभी तो बिना बात के चिल्लाने लगता. आहिस्ताआहिस्ता यह उस की आदत में शामिल होता गया.

अनुष्का पहले तो लिहाज करती रही, बाद में वह भी पलट कर जवाब देने लगी. बस, यहीं से आपसी टकराव बढ़ने लगे. अनुष्का का यह हाल हो गया कि अपनी जरूरतों के लिए कृष्णा से रुपए मांगने में भी भय लगता. इसलिए अनुष्का ने अपनी जरूरतों के लिए एक स्कूल में नौकरी कर ली. स्कूल से पढ़ा कर आती, तो बच्चों को टयूशन पढ़ाती. इस तरह उस के पास खासा रुपया आने लगा. अब वह आत्मनिर्भर थी.

अनुष्का जब से नौकरी करने लगी तो घर के संभालने की जिम्मेदारी कृष्णा के ऊपर भी आ गई. अनुष्का को कमाऊ पत्नी के रूप में देख कर कृष्णा अंदर ही अंदर खुश था, मगर जाहिर होने न देता. अनुष्का जहां सुबह जाती, वहीं कृष्णा 10 बजे के आसपास. इस बीच उसे इतना समय मिल जाता था कि चाहे तो अस्तव्यस्त घर को ठीक कर सकता था मगर करता नहीं. वजह वही कि वह मर्द है. एक दिन अनुष्का से रहा न गया, गुस्से में कृष्णा का उपन्यास उसी के ऊपर फेंक दिया.

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