उस के और प्रभाष के अंश, सक्सेना खानदान के 2 चिराग इस दुनिया में आ चुके हैं. उस की सास रजनी ने तो जाने कहांकहां की मिन्नतें पूरी करने की लिस्ट बना ली है पर अब प्रभाष यह सोच कर परेशान था कि लोगों से क्या बताए और क्या छिपाए. इस पूरी बात की जानकारी दोनों के मांबाप के अलावा सिर्फ रोहन को थी. प्रभाष के मन में डर था कि सब को सच बताने पर लोग कहीं न कहीं माधुरी के स्त्रीत्व या उस के पौरुष पर जरूर सवाल खड़ा करेंगे. उसी दिन माधुरी कानपुर वापस आई और अगले दिन प्रभाष उसे सीधा चाइल्ड केयर हौस्पिटल ले गया.
गुलाबी कपड़ों में लिपटे एकएक दिन के 2 मासूम बच्चे माधुरी की गोद में डालते हुए डा. लतिका ने कहा, ‘ये दोनों डब्बे वाला दूध पीते हैं. हर 2 घंटे पर इन्हें दूध पिलाते रहना. हर बार दूध पिलाने के बाद बोतल गरम पानी में उबाल लेना. आने वाले 3 महीने इन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं.’ माधुरी की आंखों से आंसू बहे जा रहे थे. उस ने डाक्टर की ओर देखते हुए पूछा, ‘मैडम, इन की असली मां ने कैसे इन्हें खुद से अलग किया होगा? 9 महीने कोख में पालने के बाद तुरंत अलग कर देना, यह सोच कर ही दिल दहल जा रहा है कि आज उस मां पर क्या बीत रही होगी.
मु झे दो मिनट में इन से लगाव हो गया है. उस ने तो 9 महीने...’ कहती हुई माधुरी रोने लगी. ‘माधुरी, ये सब बातें दिमाग से निकाल दो. तुम ने कम कष्ट सहे हैं क्या इस दिन के लिए. यह इस पूरी प्रक्रिया का सब से मार्मिक पहलू है. अब दिमाग से यह निकाल दो कि ये तुम्हारी कोख से नहीं जन्मे हैं. आज से तुम ही इन की मां हो. दुनिया यशोदा को ही कान्हा की मैया कहती है. कान्हा का जन्म तो देवकी की कोख से हुआ था. जिस ने इन्हें जन्म दिया उस का तुम हमारे ऊपर छोड़ दो. सब की अपनीअपनी मजबूरियां होती हैं. आज पैसा बहुतों के पास है लेकिन सब को सरोगेट मदर नहीं मिलती है.