पत्नी की असमय मौत के बाद जब गिरिजा रुद्रदत्त के जीवन में आई तो उस की सुंदरता देख रुद्रदत्त उस पर मोहित हो गए। तभी एक रात गिरिजा ने उस का हाथ अपने हाथों में ले लिया और फिर…
रुद्रदत्त शहर के जानेमाने व्यापारी थे. उन्होंने अपने दोनों बेटों को खूब पढ़ाया। वे नहीं चाहते थे कि उन के बेटे भी उन्हीं की तरह दुकान की गद्दी पर बैठ कर सुबह से रात तक खुद को घिसते रहें. वे चाहते थे कि उन के बेटे बड़े अफसर बनें, लोग उन्हें सम्मान दें, दूरदूर तक उन का नाम हो…उन का बस यही सपना था. उन के दोनों बेटे उच्च शिक्षित हो कर बड़े आदमी बन भी गए.
बड़ा बेटा डाक्टर बन कर स्पैशलाइजेशन करने आस्ट्रेलिया गया तो वहीं का हो कर रह गया. उस ने वहीं एक लड़की से शादी भी कर ली। अब वह वापस आना नहीं चाहता था. बेटे के गम में रुद्रदत्त की पत्नी अंदर ही अंदर टूट गईं और बीमार रह कर उन की मौत हो गई। किसी भी डाक्टर को उन की बीमारी समझ में नहीं आई थी. रुद्रदत्त ने कई बार बेटे को फोन पर उस की मां के बारे में बताया लेकिन वह बस बहाने बनाता रहा और न बीमारी पर और न ही मरने पर अपनी मां को देखने आया.
1 साल बाद उन का दूसरा बेटा भी कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने के बाद मास्टर डिग्री के नाम पर अमेरिका चला गया और फिर उस ने भी वहीं एक लड़की पसंद कर के शादी कर ली. रुद्रदत्त ने उसे भी कई बार फोन कर के वापस आने को कहा लेकिन उस ने साफ जवाब दे दिया, “डैड, मुझे यहां 1 मिनट की भी फुरसत नहीं है. यदि आप चाहें तो हमारे साथ आ कर रह सकते हैं. ऐसे भी हमारे पास किसी चीज की कमी नहीं है, आप इंडिया से सब बेच कर हमारे पास आ जाइए या फिर भाई के पास चले जाइए. ऐसे भी अकेले आप वहां क्या करेंगे?”
रुद्रदत्त ने अपनी मिट्टी छोड़ने से यह कह कर मना कर दिया कि मेरे पुरखों की मिट्टी जिस मिट्टी में मिली है मैं उसे छोड़ कर नहीं आ सकता, मैं चाहता हूं कि मेरी मिट्टी भी मेरे मरने के बाद इसी भूमि में मिले.”
उस के बाद रुद्रदत्त ने कभी अपने बेटों से संपर्क नहीं किया था. वे अभी भी अपनी दुकान चलाते थे और हर सुबह जल्दी जाग जाते थे और सुबह 5 बजे तक पार्क का एक चक्कर लगाकर 2-3 किलोमीटर दौड़ चुके होते थे. इसीलिए वे 55-56 साल की उम्र में भी 40 से अधिक नहीं लगते थे. ऊंचे कद और गठीले बदन के मालिक, गोरे रंग पर जब नीली या काली शर्ट पहन कर निकलते थे तो सैकड़ों की भीड़ में भी दूर से ही दिख जाते थे.
उस दिन भी 2 चक्कर दौड़ने के बाद रुद्रदत्त पार्क में पेड़ों के नीचे बनी सीमैंट की बैंच पर बैठे हुए थे. आज उन्होंने ब्लैक कलर की हाफ टीशर्ट और ग्रे कलर का लोअर पहना हुआ था. दौड़ने के बाद पसीने की कुछ बूंदें उन के माथे पर आ गई थीं जो सूरज की पहली किरण पड़ने पर उन के गोरे माथे पर सिंदूरी सोने जैसी चमक रही थीं.
अभी रुद्रदत्त ने बोतल से 2 घूंट पानी पी कर उसे नीचे रखा ही था और बोतल रख कर जैसे ही उन्होंने सिर उठाया, एक महिला ट्रैकसूट पहने सामने खड़ी थी. उस की सांसें तेजतेज चल रही थीं मानो वह बहुत दूर से दौड़ती चली आ रही थी. रुद्रदत्त ने गौर से उसे देखा, उस की उम्र कोई 40 साल के आसपास थी। गोरा रंग, 5 फुट 4 इंच के लगभग हाइट, कसा हुआ चुस्त जिस्म और आकर्षक शारीरिक कटाव उसे बहुत आकर्षक बना रहे थे. उस की पर्सनैलिटी ऐसी थी कि कोई भी उसे देखे तो कुछ देर उसे बस देखता ही रहे.
“क्या मैं यहां बैठ सकती हूं मिस्टर…?” अभी रुद्रदत्त उस के भूगोल को देख ही रहे थे कि उन के कानों में उस का मधुर स्वर पड़ा.
“ज…जी…जी बिलकुल,” रुद्रदत्त हड़बड़ाते हुए बोले और खिसक कर बैंच के एक कोने पर हो गए.
“अरे, यहां तो ऐसे ही बहुत जगह थी, आप को और जगह बनाने की कोई जरूरत नहीं थी,” वह महिला रुद्रदत्त की हालत देख कर मुसकराते हुए बोली और फिर उन के पास ही बैठ गई. अब रुद्रदत्त को उस से झेंप हो रही थी और वे उस की ओर आंखे नहीं उठा रहे थे.
“मेरा नाम गिरिजा है और आप…?” कुछ देर ऐसे ही बैठ कर रुद्रदत्त की ओर देखने के बाद उस महिला ने मुसकराते हुए कहा और अपना हाथ बढ़ा दिया.
“ज…जी मैं रुद्र… रुद्रदत्त, मैं एक व्यापारी हूं. मेन मार्केट में मेरी किराने और ड्राई फ्रूट्स की छोटी सी दुकान है,” महिला के पहल करने पर रुद्रदत्त ने हाथ बढ़ते हुए अपना पूरा परिचय उसे दे दिया.
“जी मैं शिक्षिका हूं, इंटर कालेज में बायोलौजी पढ़ाती हूं. अभी कुछ दिन पहले ही यहां ट्रांसफर हुआ है, अभी यह शहर मेरे लिए अजनबी है,” गिरिजा ने भी आगे अपना परिचय देते हुए कहा.
अब इन दोनों के बीच सामान्य बातें होने लगीं और कोई आधे घंटे बाद दोनों वहां से चले गए.
अब यह रोज का नियम बन गया था। रुद्रदत्त और गिरिजा पार्क में मिलते और साथसाथ दौड़ते। उस के बाद कुछ देर बैंच पर बैठ कर बातें करते. ये दोनों अब एकदूसरे के बारे में सबकुछ जान चुके थे. गिरिजा उत्तराखंड के चमोली जिले से आती थीं. शहर के कालेज में शिक्षिका थीं. गिरिजा को उन के प्रेमी ने धोखा दिया था तब से उस ने कभी शादी न करने और मर्दों से दूर रहने लगी थी. गिरिजा की उम्र 48 साल की थी लेकिन रोज ऐक्सरसाइज करने और फिटनैस पर ध्यान देने के चलते वह 40 से अधिक की नहीं लगती थी.