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उस ने जल्दी से हाथ छुड़ा कर सामने आते हुए कहा,आप यह सब कैसे...”

“अरे मस्तक पर सजदे का इतना बड़ा निशान ले कर घूम रहे हो, अंधा भी जान जाएगा कि...अबे  तुम सच में इतने ही भोले हो? और वह फिर खिलखिला दी. चलते हुए बाज़ार में सभी की निगाहें उस पर आ कर रुक गईं. 

“अब तुम वही फौरमैलिटी वाले सवाल मत पूछना कि तुम कौन हो और इतना सब कैसे जानती हो?उस ने फिर से उस का हाथ पकड़ते हुए कहा, आओ चलें,” चलते हुए अपनी गाड़ी का दरवाज़ा खोलते हुए बोली, कार तो चला लेते होगे?

“जी, मगर मेरा लाइसैंस रिन्यू नहीं हुआ है.”

“क्यों, यही सोच कर कि अब गाड़ी नहीं रही तो ड्राइविंग लाइसैंस का क्या,  यही न? चलो, मेरे साथ बैठो, ड्राइविंग मैं करती हूं. तुम भी याद रखोगे कि एक शानदार पायलट के साथ लौंग ड्राइव पर गए थे.”

“लौंग ड्राइव?

“क्यों डर गए क्या?वह फिर खिलखिला कर हंस दी.

“घर पर कोई इंतज़ार तो नहीं करेगा?

कोई नहीं.”

“फिर ठीक है. आओ बैठो, चलते हैं,” और उस ने कार आगे बढ़ा दी.

“मकान किराए का है या...?” 

“जी, बस वही बचा रहा. मकान नहीं, फ्लैट है. पुश्तैनी है तो बच गया.”

“हूं.” और वह बिना कुछ बोले गाड़ी चलाती रही.

“दोबारा ज़ीरो से शुरू करना बहुत मुश्किल होता है, है न? और वह कनखियों से देखती इंतज़ार करती रही कि शायद वह कुछ बोले, लेकिन वह चुप बाहर खिड़की से झांकता रहा.

“तुम्हें डर तो नहीं लग रहा?

“डर, कैसा डर?

“कुछ नहीं. बस यों ही पूछ लिया.”

कुछ ही देर में गाड़ी महरौली की पहाड़ियों में किसी मकबरे के दरवाज़े पर थी. उस ने    सवालिया निगाहों से उसे देखा तो वह उतरते हुए बोली, आओ चलें.” फिर उस ने गाड़ी में से स्कार्फ निकाल कर सिर पर बांध लिया और वहीं नज़दीक एक दुकान से फूलों की टोकरी ले कर उस का हाथ थामे दरवाज़े की ओर बढ़ गई. अंदर जा कर उस ने बड़ी तन्मयता से फूल बिछाए और हाथ जोड़ कर होंठों ही होंठों में बुदबुदाने लगी. 

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