उस ने कोई जवाब नहीं दिया. बस, चुपचाप सिगरेट जलाने के साथ एक गहरा कश लगा कर धुआं नाक से छोड़ती हुई बोली, “लो, एक कश तुम भी लगा लो.”
“नहीं,” उस ने उस के चहरे को गौर से देखते हुऐ इनकार किया.
“लो, लेलो, एक सुट्टे से कुछ नहीं होता,” और उस ने सिगरेट उस के हाथ में पकड़ा दी. वैसे भी, नशा करने का मज़ा अकेले नहीं लिया जाता.
“ऐक्चुअली मैं गाड़ी पीछे पार्किंग में लगाने चली गई थी तुम्हें बिना बताए, बुरा मत मानना.”
“क्यों, क्या कोई फ़र्क पड़ता है?” सिगरेट अभी उस की उंगलियों में ही थी.
“तुम इतने उखड़े से क्यों हो? देखने में तो सोफेस्टिकेटिड लग रहे हो और तुम्हारी लैंग्वेज व अंदाज़ बता रहा है कि एजुकेटिड भी हो. सब कुछ खो चुके हो?”
उस के सवाल से उस की गरदन हलकी सी झुक गई.
“मर्दों के कंधे और गरदन हमेशा सीधी ही अच्छी लगती हैं, सीधे हो कर बैठो,” उस की आवाज़ में नायकों जैसी खनक थी.
उस ने अपनी उंगलियों में फंसी सिगरेट उसे वापस पकड़ा दी.
“किसी से प्रौमिस किया है?”
“नहीं.”
“फिर?”
“नहीं, बस यों ही.”
“सोफेस्टिकेटिड लगना क्या नक़लीपन नहीं है?”
“सोफेस्टिकेटिड होना ज़रूरी है और होना भी चाहिए.”
“मैं केवल सोफेस्टिकेटिड लग भर रहा हूं, शायद, हूं नहीं.”
वह बहुत देर तक उस के चेहरे को पढ़ती सी रही, फिर एकाएक बोली, “एक अजनबी लड़की के सामने ऐब करते हुए शरमा रहे हो,” और वह फिर खिलखिला कर हंस दी. हवा में ठंडक और नमी बढ़ने लगी. “तुम्हें अजीब सा नहीं लग रहा है कि एक अजनबी लड़की इतनी बेतकुल्लफी से बातें कर रही है और सिगरेट मंगा कर पी रही है?”
“नहीं, इस में क्या अजीब? बस, यही अलग सा लग रहा है कि एक औडी वाली महिला अपनी एयरकंडीशन गाड़ी से उतर कर यों गरमी में मुझ अजनबी से क्यों क्यूं…”
“ओय, महिला मत बोल,” वह सीधे तू पर आ गई.
“तो?”
“लड़की बोल, गर्ल्स बोलते हुए मौत आती है?”
उस की इस बात पर वह मुसकरा कर कर रह गया.
“क्या सुबह से कुछ नहीं खाया?” उस ने सवालिया निगाह से उसे देखा, “इतनी फीकी मुसकान सिर्फ़ भूखे पेट वालों की होती है. चल, कुछ खा कर आते हैं,” वह उठते हुए बोली.
लेकिन वह बैठा ही रहा.
“ओए, चल न. क्यों भैंस की तरह पसरा है? चल, खड़ा हो,” उस ने उस का हाथ पकड़ कर उठाने की कोशिश की.
“अरे, सुनिए तो,” उस ने झिझकते हुए कहा, “मेरे पास पैसे नहीं हैं.”
उस की यह बात सुन कर वह अपनी ऐड़ी पर थ्रीसिक्सटी डिग्री घूम गई और ठहाका लगा कर हंसती हुई बोली, “यार, अपनी फोर्टीसेवन की एज में पहली बार एक लड़के को एक लड़की से यह कहते हुए सुन कर मज़ा आ गया.” फिर एकाएक धीरे से बोली, “बीवी छोड़ कर चली गई?” फिर उस का हाथ पकड़ कर ग्रीन पार्क की मेन मार्केट की ओर बढ़ चली.
वह बिना कुछ कहे सम्मोहित सा उस के साथ चल दिया यह सोचते हुए कि क्या यह कोई जादूगरनी है अथवा ब्रेन रीडर. जो भी है, है बिलकुल निश्च्छल. अपने मस्तिष्क में ढेर सारे सवाल लिए उस के कदम से कदम मिला कर चलता रहा और वह उसे ले कर बर्गर शौप में एक टेबल पर बैठ गई. 2 बर्गर और 2 सौफ्ट ड्रिंक वेटर उन के सामने रख कर हट गया.
“चलो, अब शुरू करो,” और वह खाने में मशगूल हो गई. लेकिन उस की निगाह
“ज़्यादा सोचने से कुछ हासिल नहीं होता. बस, बलडप्रैशर बढ़ जाता है. मैडिसन तो लेते होगे हार्ट के लिए? वैसे, बीपी की मैडिसन तो मैं भी लेती हूं, फिर हार्ट की मैडिसन तो और भी कौस्टली आती है, फिर?”
“जी, मैं कुछ समझा नहीं.”
“या फिर समझना नहीं चाहते? सैंसटिव लोग हमेशा तकलीफ़ में रहते हैं.”
|आप भी सैंसटिव हो?”
“हां, थोड़ी तो हूं, लेकिन इतनी नहीं कि सबकुछ गंवा दूं.”
“जी, प्रैक्टिकल होना अच्छी बात है.”
“तुम क्यों नहीं हुए? जबकि पुरुष सच में प्रैक्टिकल होते हैं. यह पूरी दुनिया उन्हीं की रचाई हुई है. स्त्रियों ने क्या किया बच्चे जनने के सिवा. तुम्हारे कितने बच्चे हैं?”
“शायद, आप ज़्यादा पर्सनल हो रही हैं.”
“तो एक?” इतनी हैरानी से मेरा मुंह मत देखो. खाते रहो. हम खाते हुए भी बात कर सकते हैं.”
“चलिए, फिनिश हो गया,” उस ने उठते हुए कहा.
“बेटे से इतना प्यार करते हो? वह अपनी मां के साथ है?”
“मुझ भूखे को खाना खिलाने के लिए थैंक्यू.”
“थैंक्यू मत कहो,” फिर उस की वही नायकों वाली खनक गूंज गई और उस का हाथ पकड़ कर पेमैंट करती हुई बाहर चली आई.
“मैं ने तो तुम्हें थैंक्यू नहीं कहा, मियां.”