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‘तो फिर फ्लाइट से क्यों आए? बैलगाड़ी से आते,’’ अनुभा ने कहा. उस के स्वर की तल्खी से युवक भी सम झ गया कि उसे बुरा लगा है. ‘‘ट्रिप तो अब यहां से शुरू हुई है. यहां तक तो पहुंचना ही था न. टाइम बचाने के लिए मैं ने फ्लाइट ली है, वरना मैं तो ट्रेन से आता, वह भी जनरल डब्बे में बैठ कर,’’ युवक के अंदाज से अनुभा को लगा कि या तो यह बहुत अनुभवी पर्यटक है या फिर उस पर प्रभाव जमाने का प्रयास कर रहा है. अनुभा ने उस की बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. तभी खिड़की से बाहर उसे एक अद्भुत दृश्य दिखाई दिया.

कुछ महिलाओं का झुंड एक खेजड़ी के पेड़ के नीचे खड़ा बतिया रहा था. टखने तक ऊंचे गहरे नीले रंग का घाघरा और केसरिया मिश्रित लाल रंग, जिसे राजस्थान में ‘कसुम्मल रंग’ कहा जाता है कि ‘ओढ़नी ओढ़े एक नवोढ़ा’ इन महिलाओं के बीच लंबा सा घूंघट काढ़े लजाई सी खड़ी थी. लगभग सभी महिलाओं ने चांदी की मोटीमोटी छड़ अपने पांवों में पहन रखी थी और उन के हाथ कलाई से ले कर कंधे तक सफेद सीप की चूडि़यों से लदे थे. नाक में बड़ी सी नथनी झूल रही थी. अनुभा ने फोटो लेने के लिए ड्राइवर
से गाड़ी रोकने का
आग्रह किया.

अनुभा ने पास जा कर उन महिलाओं का हेयरस्टाइल देखा. उन्होंने बालों को कस कर बांध कर उन्हें एक जाली से इस तरह कवर किया हुआ था कि कोई न चाहे तो बाल महीनों तक बिखरें नहीं. अनुभा इस नए स्टाइल को देख कर मुसकरा दी और मोबाइल निकाल कर इस दृश्य को कैद करने लगी. कुछ तसवीरें लेने के बाद उस ने अपना मोबाइल उस युवक की तरफ बढ़ा कर अपनी फोटो लेने का आग्रह किया.
‘‘यह राजस्थान है, मैडम. यहां न जाने ऐसे कितने दृश्य आप को देखने को मिलेंगे,’’ युवक ने फोटो लेतेलेते उसे टोका. अनुभा को अच्छा तो नहीं लगा, लेकिन वह चुप ही रही. गाड़ी अब शहर में प्रवेश कर रही थी.

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