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‘हां छवि, दीवाली का ऐसा उपहार तो किसी ने किसी को नहीं दिया होगा.’ भावातिरेक में छवि ने नन्हे को अपनी छाती से लगा लिया और आंसुओं से उस के नाजुक शरीर को भिगोने लगी. ‘भाभी, कानून की औपचारिकता आप जब कहोगे मैं पूरी कर जाऊंगा.’ नन्हे को छाती से लगाए हुए ही छवि ने समर और प्रिया को कृतज्ञतापूर्ण निगाहों से निहारा. समर ने आंसू पोंछ दिए छवि के. ‘लेकिन प्रिया का यह पहला बच्चा है,’ वह अभी भी दुविधा में थी. ‘भाभी…’ प्रिया उस के पास बैठती हुई बोली, ‘‘हम सब आप के ही तो हैं, आप इस की मां हों या मैं, क्या फर्क पड़ता है, आप ने समर को पाला है, मनु को पाला, और इस बच्चे को तो हम ने जन्म ही आप के लिए दिया है, विश्वास करो भाभी, इसे आप से कोई नहीं छीनेगा.’ छवि ने परम संतोष से नन्हे के गाल से अपना गाल सटा लिया.

दीवाली के बाद समर का परिवार चला गया. सूना घर नन्हे की किलकारियों से गूंजने लगा. छवि की ताकत और रौनक फिर से लौट आई. नीरज को भी जल्दी घर आने का बहाना मिल गया. नन्हा रुद्र कब पलंग से उतर कर घुटनों के बल चला और कब अपने पैरों पर दौड़ने लगा, पता ही नहीं चला. छवि के दिनरात जैसे एक हो गए. 3 साल का रुद्र ड्रैस पहन कर स्कूल भी जाने लगा. उसे पढ़ाना, होमवर्क कराना, छवि को मानो दिनरात भी कम पड़ने लगे. वह खुश थी, मस्त थी अपनी सुहानी दुनिया में. रुद्र का पालनपोषण करने, उसे अच्छे संस्कार देने में वह भूल ही गई कि रुद्र ने प्रिया की कोख से जन्म लिया है. छुट्टियों में समर अपने परिवार के साथ आता तो छवि शंकित हो जाती, कहीं फिर पहले की तरह न हो जाए. कहीं प्रिया की ममता जोर न मारने लग जाए. कहीं समर का हृदय डांवांडोल न हो जाए. लेकिन समर और प्रिया ने कभी अपनी किसी बात या भाव से यह नहीं जताया कि उन्हें रुद्र को गोद देने का कोई अफसोस है. शुरूशुरू में समर के परिवार का आना जल्दीजल्दी होता था, फिर समर की व्यस्तता की वजह से कम होने लगा. उसे ठीक ही लगता उन का कम आना. क्योंकि रुद्र अब बड़ा हो रहा था और उसे लगता कि अनजाने में उन की किसी बात से रुद्र पर असलियत जाहिर न हो जाए. कई वर्ष बीत गए. रुद्र 19 साल का हो गया था. अब नीरज गाहेबगाहे छवि से कहने लगे थे कि रुद्र को असलियत बता देनी चाहिए. परिवार की ही बात है और यह बात कभी न कभी खुल ही जाएगी. पर छवि इस के लिए तैयार नहीं होती थी. रुद्र ने 12वीं पास कर ली थी. नीरज ने जब उसे कालेज की पढ़ाई खत्म कर एमबीए कर के अपना व्यवसाय संभालने को कहा तो उस ने मना कर दिया, ‘‘मैं मैडिकल लाइन में जाना चाहता हूं पापा, डाक्टर बनना चाहता हूं.’’ नीरज अचंभित रह गए, ‘लेकिन तुम ने पहले तो कभी डाक्टर बनने की बात नहीं कही.’

‘मैं ने डाक्टर बनने के हिसाब से ही तो 12वीं के अपने विषय लिए थे पापा, मैं ने सोचा आप समझ रहे होंगे.’ ‘इस में समझना कैसा, तुम मैडिकल लाइन में जाओगे तो इतना बड़ा व्यवसाय मैं कैसे अकेले संभालूंगा.’ ‘पापा, मुझे आप के व्यवसाय में जरा भी रुचि नहीं है और अपना मनपसंद काम न होने की वजह से मैं ठीक से कर नहीं पाऊंगा.’ नीरज समझ रहे थे. ये उस के जींस थे जो उसे समर से मिले थे. उस की रुचियों पर समर का पूरा असर था.

‘ठीक है,’ उन्होंने हथियार डाल दिए. ‘आप ने उसे मैडिकल लाइन में जाने से रोका क्यों नहीं? कहीं वह भी समर की तरह घर से चला गया तो?’ छवि ने नीरज से अकेले में कहा. ‘तो क्या करूं छवि, उसे जबरदस्ती तो नहीं रोक सकते हैं न. और ये भी तो हो सकता है नर्सिंग होम बनाने का जो सपना हमारा समर पूरा नहीं कर सका वह रुद्र पूरा कर दे.’ नीरज फिर अपने भूलेबिसरे सपने को आकार देने लगे. रुद्र्र अपने मैडिकल की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने लगा. लेकिन छवि के हृदय में जैसे शूल गड़ गया था. उन्हें क्या पता था कि यही गड़ा हुआ शूल एक दिन उन के हृदयों से आरपार हो कर टुकड़ेटुकड़े कर देगा. एक दिन पता नहीं कैसे रुद्र्र के हाथ दराज से कागजों के बीच से वह फोटो हाथ लग गई जो रुद्र्र के जन्म के बाद मुंबई के अस्पताल से बाहर आते समय खिंची हुई थी. उस में प्रिया की गोद में रुद्र और मनु का हाथ समर ने पकड़ा हुआ था. वह फोटो ले कर उन के पास आ गया, ‘ममा, यह फोटो तो बहुत पुरानी है, चाची की गोद में यह बच्चा कौन है?’ दोनों उस फोटो को देख कर चौंक गए. छवि ने फोटो हाथ से छीन ली, ‘अरे होगा कोई बच्चा, मुंबई की फोटो है यह तो.’ ‘हां ममा, इसीलिए तो पूछ रहा हूं कि चाची की गोद में यह ‘न्यूली बौर्न बेबी’ कौन है?’ ‘होगा कोई, मुझे नहीं पता. तू अपना काम कर,’ कह कर छवि उठ खड़ी हुई.

‘ठहरो छवि,’ एकाएक नीरज बोले, ‘उस की बात का सही जवाब दो, कभी न कभी यह सवाल अपना जवाब मांगेगा ही.’ ‘कौन सा सवाल और कौन सा जवाब, यह आप क्या कर रहे हैं,’ छवि हड़बड़ा गई कि नीरज रुद्र को सच न बता दें. लेकिन नीरज तो आज जैसे रुद्र को सच बताने के लिए कटिबद्ध थे. ‘नीरज प्लीज,’ छवि की निगाहें कातर हो गईं. उसे लगा उस की गोद आज उजड़ने ही वाली है. नीरज ने रुद्र का हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया. ‘दरअसल, रुद्र बेटा, प्रिया की गोद में तुम हो.’

‘लेकिन मैं, क्यों?’

‘हां, तो क्या हुआ. चाची की गोद में तुम नहीं हो सकते,’ छवि ने बात संभालनी चाही. लेकिन नीरज अब झूठ की बुनियाद का महल खड़ा नहीं करना चाहते थे. हमेशा मन में एक डर सा लगा रहता था कि जब रुद्र को सच पता लगेगा तो पता नहीं वह इसे किस तरह से लेगा. उसे सच पता हो तभी वे अपनी वृद्धावस्था सुखसंतोष से बिता सकेंगे. ‘रुद्र बेटा, एक सचाई है जो तुम्हें अभी पता नहीं है लेकिन वादा करो कि तुम मेरी बात को सुन कर समझोगे और उसे सहजता से लोगे.’

‘ऐसी क्या बात है पापा?’

‘यही कि तुम…’ नीरज का गला अटक गया. पता नहीं अगले पल क्या होने वाला था पर अब तो तीर कमान से निकल चुका था, ‘तुम हमारे प्यारे बेटे हो पर तुम्हें जन्म समर और प्रिया ने दिया है.’’ किसी तरह अपनी बात कह कर उन्होंने प्रतिक्रिया जानने के लिए रुद्र के चेहरे की तरफ देखा. छवि अपनी जगह पर जैसे निष्प्राण खड़ी रह गई. रुद्र्र चुप, भावहीन, निस्तेज, अविश्वास भरी नजरों से उन की तरफ देख रहा था. ‘आप यह बात मजाक में कह रहे हैं पापा या सचमुच ऐसी बात है?’

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