इसी तरह मैं खुद जा कर किसी औरत से उस के बच्चे को गोद में नहीं लेती थी. किसी बच्चे पर प्यार भी नहीं जताया. मुझे अच्छी तरह मालूम था कि इस तरह किसी पराए बच्चे की तरफ अपना प्यार जताया तो लोग यही कहेंगे कि ‘बेचारी को बच्चे का सुख प्राप्त नहीं, इसलिए जब भी किसी भी बच्चे को देखती है तो भावुक हो जाती है.’ मैं इस तरह की टिप्पणी सुनना नहीं चाहती थी.
मुझे मालूम है औरत की फितरत ही ऐसी है. अगर उस के पास कोई चीज है जो दूसरों के पास नहीं, तो उस में एक अजीब सा गरूर आ जाता है. कभीकभी जब कोई औरत अपने बच्चे को मेरे हवाले करती तो मैं सिर्फ 5 मिनट के लिए उस बच्चे को पास रख कर फिर उस की मां को लौटा देती. ‘आप का बच्चा आप के पास आना चाहता है,’ ऐसा कहते हुए मां के पास उस बच्चे को सौंप देती थी. मैं किसी भी हाल में दूसरों की हमदर्दी नहीं लेना चाहती थी. 2 साल पहले उन्हीं दिनों में मुझे यह खबर मिली कि मेरे पड़ोस वाले फ्लैट में यह नया शादीशुदा जोड़ा किराएदार आया है और वह लड़की मां बनने वाली है. यह सारी खबर मुझे वाचमैन द्वारा मिली. उस ने यह भी बताया कि उन दोनों का अंतर्जातीय विवाह है, इसलिए उन के सहारे के लिए एक बूढ़ी औरत के सिवा और कोई नहीं है. मेरे लिए यह सिर्फ हवा में उड़ती हुई खबर थी और उस का कोई महत्त्व नहीं था. पूरे दिन मैं अपने काम में व्यस्त रहती थी. आसपास के लोगों से ज्यादा मेलजोल नहीं था, इसलिए मैं अपने नए पड़ोसी के बारे में भूल गई.