Family Story : हालांकि घर के लगभग सारे काम मेरे विवाह के अगले हफ्ते बाद से मेरे करकमलों द्वारा संपन्न होने शुरू हो गए थे. विवाह के बाद तब मैं ने श्रीमती को प्रसन्न करने के लिए ये काम इसलिए शुरू किए थे, ताकि उसे पता चल जाए कि मैं भी घर के काम करने का हुनर रखता हूं. पर, मुझे क्या पता था कि तब मेरे ये काम उस का मन रखने के लिए किए गए थे, वे एक दिन मेरे ही काम बन जाएंगे.
आज मेरी दशा या दिशा यह है कि मैं घर के सारे काम कर के ही औफिस जाता हूं और औफिस से समय से आधा घंटा पहले निकल कर सीधा घर पहुंचते ही घर के कामों में लीन हो जाता हूं.
मुझे औफिस जाने में देर हो जाए तो हो जाए, मेरे महीनों के औफिस के काम पेंडिंग पड़े रहें तो पड़े रहें, पर मेरी श्रीमती को घर के किसी काम की पेंडेंसी कतई पसंद नहीं. उस की नेचर है कि घर का जो काम जिस समय होना चाहिए उसी समय हो.
विवाह से पूर्व सुखी वैवाहिक जीवन के आंखें खोले सपने लेते कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी मेरे ये हाथ घर के काम करने में इतने दक्ष हो जाएंगे कि सोएसोए भी घर के कामों में व्यस्त रहा करेंगे.
विवाह से पूर्व यह भी सपने में नहीं सोचा था कि मेरे हाथ अपने ही हाथों की बनी चाय मुझे पिला, अपने ही हाथों की गरमागरम चपातियां मुझे खिला मयूर हो नाचा करेंगे.
सच कहूं तो अब अपने हाथों के जायके से मुझे इतना प्यार हो गया है कि दूसरों की बीवियों के हाथों की आधी रोटी खा कर मेरा पेट भारी हो जाता है. पेट में ऐसी अपच हो जाती है कि कई दिनों तक पेट साफ करने की दवाई खानी पड़ती है.
असल में विवाह के बाद मैं घर में काम करने वाली नहीं रखना चाहता था. सच्ची को जो श्रीमती को मुझ पर शक हो गया तो…? शादी से पहले मर्दों पर कोई शक करे तो करता रहे, पर विवाह के बाद सफल वैवाहिक जीवन के लिए किसी भी मर्द को अपने चरित्र पर शक की कतई सूई नहीं घूमने देनी चाहिए.
पर, जल्दी ही श्रीमती के कोमल मन को जब अड़ोसपड़ोस के घरों में काम करने वाली आतीजाती दिखती तो उस में हीनता जन्म लेने लगी. आदर्श पति होने के नाते मैं नहीं चाहता था कि मेरी श्रीमती के मन में और तो सब जन्म लें तो लें, पर हीनता कतई जन्म ले. सो, उस की हीनता का इलाज करने के लिए मैं ने कामवाली रख ली.
विवाह के बाद आदर्श से आदर्श पति की बीमारी का इलाज तो कहीं भी, किसी भी सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में संभव नहीं, पर श्रीमती हर हाल में स्वस्थ रहनी चाहिए. आज भी उसे स्वस्थ रखने के लिए मैं धंवंतरि तक के पास जा सकता हूं. श्रीमती स्वस्थ तो बीमार पति भी फुली मस्त.
हर ब्राइटी के पति सफल पति होने के लिए बहुतकुछ बेकार का भी दिल पर पत्थर रख लेते हैं, सो मैं ने भी सफल दिवंगत पतियों के पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए श्रीमती का मन रखने के लिए कामवाली रख ली. चंद ही दिनों में वह कामवाली श्रीमती को तो मुझ से भी प्रिय हो ही गई, पर मेरा कचराअधकचरा दिल भी कहीं न कहीं उस में बसने लगा. श्रीमती उस के आने से पहले ही उस के आने के इंतजार में पलकें बिछाए रहती तो मैं भी उस के आने से पहले ही उस के लिए चाय बना कर तैयार रखता. बेचारी पिछले घर की मालकिन के पास उस की पड़ोसन की गुप्त बातें बता कर आएगी तो पता नहीं कितनी थकी होगी? बहुत से घरों की मालकिनें इन दिनों घर में काम करने वालियों को घर के काम करने के लिए कम अपनी पड़ोसनों की खुफिया जानकारियों के लिए अधिक रखती हैं. घरों में काम करने वालियां पड़ोसनों की खबरें जितनी विश्वसनीयता से अपनी हर मालकिन को कमर मटकामटका कर सुनाती हैं, उतने विश्वसनीय खुफिया एजेंट भी नहीं होते. हो सकता है, मेरी श्रीमती इसलिए भी उस का बेसब्री से इंतजार करती हो. इस मामले में मैं डेड श्योर तो नहीं, पर बहुतकुछ श्योर जरूर हूं. और तब जिस दिन कामवाली न आती, तो श्रीमती का पारा बाहर माइनस 20 तापमान होने के बाद भी सातवें आसमान पर होता.
सच कहूं तो कामवाली घर के कामों में कहने को ही मेरा हाथ बंटाती है. उसे अभी मेरी तो नहीं, पर मेरी श्रीमती की कमजोरी का पता चल गया है. वैसे भी जितने समय पर वह आती है, उतने में तो मैं घर के लगभग नब्बे प्रतिशत काम तो कर चुका होता हूं. पर मुझे उस का आना फिर भी अच्छा नहीं, बहुत अच्छा लगता है. चलो, इस बहाने टीवी पर पसरे बाबा के आगे आठ पहर चौबीस घंटे उलटेसीधे योग की मुद्राएं करती श्रीमती के सूजे थोबड़े के सिवाय कोई दूसरी सूरत तो दिख जाती है, वरना देखते रहो औफिस जाते और औफिस से आते एक ही स्लिम फिट होता थुलथुला थोबड़ा. Family Story