अलका पल्लवी की कालेज की साथी थी और अकसर पल्लवी के साथ पढ़ने के लिए उस के घर आया करती थी. तब कैसे समीर के चक्कर पल्लवी के घर कुछ ज्यादा ही बढ़ गए थे,
यह सोच कर आज भी एक मुसकान पल्लवी के होंठों पर खेल गई.
समीर ने आखिरकार अलका के दिल में अपने लिए प्रेम जागृत करवा ही लिया लिया था पर अपने घरेलू हालात के कारण वह उस से खुल कर प्रेम का इजहार करने में असमर्थ थी. एक दिन समीर ने उस से खूब जोर दे कर सब जान ही लिया. अलका के पिता 3 बहनों में सब से बड़ी अलका को जल्द से जल्द शादी के बंधन में बांध कर अपने हिसाब से एक बोझ से मुक्त होना चाहते थे पर अलका और पढ़ना चाहती थी. अपने पैरों पर खड़ी हो कर अपने घर की आर्थिक स्थिति बदलना चाहती थी. यह जानने के बाद समीर शांत हुआ और अपने घर की विचारधारा को भी सोचने लगा. उस के पिता के लिए चाहे वह बोझ नहीं था लेकिन खूंटे से बंधे जानवर समान तो था, जिस की भावनाओं को समझना कम से कम समीर के पिता के बस की बात तो नहीं थी.
तब समीर और अलका ने साथ रहने का निर्णय किया था हालांकि अलका अपनी बहनों के भविष्य के लिए मार्गदर्शन देना चाहती थी, अपनी मां, जो सदा रसोई की दहलीज के अंदर ही रही, को नई दुनिया दिखाना चाहती थी परंतु उस के पिता ने तो इन सब संभावनाओं से परे उसे घर से निकलने का ही फरमान सुना दिया और साथ ही, घरवाले अब उस के लिए जिंदा नहीं रहे, मर चुके हैं उस के लिए. यह चेतावनी भी उसे दे डाली.
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