दोपहर के खाने के बाद चंदन की तबियत सुस्त होने लगी, बदन टूटने लगा और दर्द भी करने लगा. उसे अहसास हो गया कि बुखार है. काम बंद कर वह कुरसी पर आराम करने लगा. सहपाठियों ने घर जाने की सलाह दी. चंदन ने पैरासिटामोल की एक गोली ली और थोड़ी देर आराम किया. दवा से तबियत में थोड़ा फर्क महसूस हुआ तो वह औफिस से घर के लिए निकल आया.
घर पहुंचने से पहले चंदन ने डाक्टर को फोन किया. डाक्टर अपने क्लिनिक पर थे. वह डाक्टर से क्लिनिक पर मिले.
डाक्टर चंदन से उम्र में छोटे थे और चंदन को अंकल कह कर पुकारते थे. डाक्टर ने पूछा, "अंकल, कैसी तबियत है?"
चंदन ने अपनी तबियत के बारे में बताया. डाक्टर ने निरीक्षण किया. देखने के बाद डाक्टर ने कहा, "अंकल, बुखार तो अभी भी 100 डिगरी है और ब्लड प्रेशर भी अधिक है. ब्लड प्रेशर की दवाई नियम से रोज लेते हो न अंकल?"
चंदन डाक्टर से बोले, "ब्लड प्रेशर की दवा तो हर रोज नियम से लेता हूं."
डाक्टर ने कहा, "मैं दवा लिख रहा हूं. तीन दिन तक लो, फिर मुझे दिखाना. अगर बुखार तेज हो या उतरे नहीं, तो टैस्ट करवा लेना. मैं लिख देता हूं. आप आराम पूरा करो. औफिस से 2-3 दिन की छुट्टी लो, तब तबियत जल्दी ठीक होगी."
चंदन ने पूछा, "कोई घबराने की बात तो नहीं है?"
डाक्टर ने कहा, "अभी तो मौसम का बुखार लग रहा है. दवा लो और आराम करो. आंटी कैसी है?"
चंदन ने कहा, "ठीक है."
चंदन ने कैमिस्ट से दवा ली और घर पहुंचा. चांदनी घर पर नहीं थी. फोन किया. चांदनी सोसाइटी के मंदिर में थी. एक बच्चे के हाथ घर की चाबी भेज दी.