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मारिया को एक इंजेक्शन लगाने की हिदायत देते हुए अपने परचे पर दवाएं लिख कर उन्होंने आशीष को परचा पकड़ाते हुए कहा, ”मैं समझता हूं कि फिलहाल इन्हें अस्पताल में एडमिट कराने की जरूरत नहीं है. घर में रहते हुए भी ठीक हो सकती हैं, लेकिन इन को केयर की बहुत जरूरत है.”

“थैंक्यू डाक्टर. पापा और भैया से पहले रितेश बोल पड़ा.”मारिया को बेहोश मां के पास छोड़ आशीष डाक्टर के साथ वापस अस्पताल जाने लगा, ताकि अपनी फार्मेसी से मां को दी जाने वाली दवाएं और इंजेक्शन ले आए, तो रितेश भी साथ हो लिया. मैं जानती थी कि रितेश जब लौटेगा तो भैया उस का दोस्त बन चुका होगा.

मारिया बेहोश मां के पास ही बैठ कर कुछ देर तक तो उन के बालों पर हाथ फेरती रही. फिर औक्सीमीटर से औक्सीजन लेवल चेक करने के बाद टेम्परेचर और बीपी चेक करने में जुटी, तो पापा मुझे कमरे से बाहर  लाते हुए बोले, "ये रितेश तेरा क्लासफैलो है?

“हां.” “और तेरा बौयफ्रेंड भी?” “हूं,” मैं ने पलकें नीचे कर लीं. “तुझे बहुत चाहता है?” मैं ने जमीन में आंखें गड़ाए हुए 'हां' में गरदन हिलाई. “क्या करते हैं इस के फादर?” “मिलिट्री में थे. शहीद कर्नल शरद रायजादा.” “और मां?” “मां हैं.” “तुम उन से मिल चुकी हो?”

“हां." "ओह..." वे कुछ सोचते रहे, फिर बोले, ”अभी समय है. पढ़ाई पूरी कर लो. उस की नौकरी लगने दो. बस एक बात का ध्यान रखना कि चुपचाप शादी न कर लेना. मुझे बता जरूर देना." “पापा,” कह कर मैं उन के पैरों के पास बैठ गई. उन्होंने मुझे अपने दोनों हाथों से उठाया और मेरे सिर पर हाथ फेरने लगे. कुछ देर बाद वे बोले, “चलो, तुम्हारी मां के पास चलते हैं.”

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