उन के कमरे में जाते ही भैया ने ऊपर अपने कमरे में जा कर पिट्ठू बैग उठाया और बाहर खड़ी अपनी बाइक ले कर तुरंत कहीं निकल गया. मैं जब तक उसे रोकती, पापा ने मुझे आवाज दे कर कमरे में बुला लिया.
मां के सीने में बाईं तरफ तेज दर्द उठने लगा था और वे अपनी छाती पर हाथ रखे जोरों से कराह रही थीं. मैं पास पहुंची, तो पापा ने मुझे मां के पास बिठाया और बताया, "तेरी मां को माइनर हार्ट अटैक पड़ा है. अभी तो आराम करने देते हैं. नींद आ गई तो ठीक, नहीं तो रात में ही अस्पताल ले जाना होगा. तू आशीष को बुला कर ला.”
“वह तो अपना पिट्ठू बैग ले कर बाइक से कहीं चला गया है.” “ओह,” पापा ने इतना ही कहा, फिर मुझ से बोले,“अच्छा ऐसा कर, तू मेरे लिए एक कप कौफी बना कर ले आ. पापा मां को ले कर बहुत चिंतित हो गए थे. ऐसा दर्द मां को दूसरी बार उठा था. इस से पहले भी उन्हें तब अस्पताल में भरती कराया गया था, जब गोद भराई की रस्म के बाद किरन दीदी अपनी सहेली के पति की डेथ पर मां को बिना बताए मुझे साथ ले कर चली गई थी.
और जब पता चला कि वह गमी में गथी, तो उन्होंने घर सिर पर उठा लिया था. “तुझे पता है कि तू ने कितना बड़ा अनर्थ कर डाला. एंगेजमेंट के बाद किसी के यहां गमी में जाना कितना बड़ा अपशकुन है. शादी टूट तक सकती है." “मां, मुझे तुम्हारी ये दकियानूसी बातें बिलकुल पसंद नहीं हैं.”