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‘‘बहू, तुम्हारे पापा के हाथ की बनी स्पेशल चाय पीने की मुझे तो लत पड़ गई है. बना लेने दो उन्हीं को चाय,’’ आरती के मुंह से निकले इन शब्दों ने अलका और मोहित के मनों की उलझन को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया था.

‘‘मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा है,’’ उन चारों बुजुर्गों को कुछ देर बाद बच्चा बन कर राहुल के साथ हंसतेबोलते देख अलका ने धीमी आवाज में मोहित के सामने अपने मन की हैरानी प्रकट की.

‘‘कितने खुश हैं चारों,’’ मोहित भावुक हो उठा, ‘‘इस सुखद बदलाव का कारण कुछ भी हो पर यह दृश्य देख कर मेरे मन की चिंता गायब हो गई है. ये सब एकदूसरे का कितना मजबूत सहारा बन गए हैं.’’

‘‘पर ये चमत्कार हुआ कैसे?’’ अपनी मां के टखने में आई मोच वाली घटना से अनजान अलका एक बार फिर आश्चर्य से भर उठी.

इस बार अलका की आवाज उस के पिता के कानों तक पहुंच गई. उन्होंने तालियां बजा कर सब का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया और फिर बड़े स्टाइल से गला साफ करने के बाद स्पीच देने को तैयार हो गए.

‘‘हमारे रिश्तों में आए बदलाव को समझने के लिए अलका और मोहित के दिलों में बनी उत्सुकता को शांत करने के लिए मैं उन दोनों से कुछ कहने जा रहा हूं. मेरी प्रार्थना है कि आप सब भी मेरी बात ध्यान से सुनें.

‘‘अपनी अतीत की गलतियों को ले कर अगर कोई दिल से पश्चात्ताप करे तो उस के अंदर बदलाव अवश्य आता है. जब नीरज अपनी पत्नी व बेटी को ले कर अलग हुआ तब मीना और मुझे समझ में आया कि हम ने अलका को किराए के मकान में जाने की शह दे कर बहुत ज्यादा गलत काम किया था.

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