कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पर अच्छी बात यह थी कि उस का चयन देश के सब से प्रतिष्ठित आईआईटी में हो गया था. फर्स्ट न आने की अपनी असफलता को एक बुरा स्वप्न समझ कर वह आईआईटी चला गया और वहां हर साल वह पूरे आईआईटी में फर्स्ट आता रहा.  बाद में वह उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चला गया. और फिर वहीं उस को एक बड़ी कंपनी में शानदार नौकरी भी मिल गई.  अब वह कंपनी के दुबई औफिस का हेड था.  लगभग हर महीने वह किसी देश के टूर पर होता.  आज सबकुछ तो था अमित के पास.  पत्नीप्यारा सा बेटाबंगलागाड़ियांऔर बड़ा सा बैंक बैलेंसलेकिन फिर भी उस के दिल में एक शूल थाराहुल.

 आज इतने दिनों बाद उस को राहुल की याद आ गईतो मन विचलित हो गया.  क्या कर रहा होगा राहुल?  किसी बड़ी कंपनी में ऊंची पोस्ट पर होगा या अपनी कोई कंपनी खोल ली होगी?

 अपने स्कूली दिनों को याद करतेकरते पूरी रात बीत गई लेकिन अमित की आंखों में नींद कहां थी.  फर्स्ट न आ पाने की अपनी असफलता उस को अपनी हार जैसी लग रही थी.  ऐसे में उस के दिमाग में यह विचार भी आया कि वह स्कूल में भले ही राहुल को हरा न पाया हो लेकिन कामयाबी की इस दौड़ में वह जरूर राहुल को हराएगा.

 सुबह होतेहोते उस ने फैसला कर लिया था कि इस बार भारत जा कर वह राहुल को ढूंढ़ निकालेगा और उस को एहसास दिला देगा कि असल में अमित ही नंबर वन है.

 फिर अगले कुछ दिनों में अमित दिल्ली में था.  उस के मातापिता कभी दिल्ली में तो कभी उस के साथ दुबई में रहते थे.  डिफेन्स कौलोनी में अपने शानदार बंगले को देख कर अमित को अनायास ही राहुल का ध्यान आ गया.  उस के दोस्त कहते थे कि ऐसा शानदार बंगला पूरी दिल्ली में कहीं नहीं है.  अगर राहुल के पास ऐसा बंगला होता तो उन को जरूर पता होता.  अमित को अपनी पहली जीत का आभास सा हुआ तो उस के होंठों पर एक विजयी मुसकान फैल गई.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...