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“सरएक बार फिर से बेस्ट सीईओ का अवार्ड जीतने पर आप को लखलख बधाइयां,” औफिस में साथ काम करने वाले हरविंदर ने अमित को गले लगाते हुए कहातो वहां मौजूद सभी लोगों ने तालियों से अमित का अभिवादन किया.

 “थैंक्यू वैरी मच.  आप सभी की शुभकामनाएं मेरे लिए बहुत माने रखती हैं.  आप सब के सहयोग से ही मैं लगातार दूसरी बार यह अवार्ड जीत पाया हूं.  थैंक्स अगेन,”  अमित ने सभी सहकर्मियों का आभार प्रकट करते हुए कहा.

 “सरखाली थैंक्यू से काम नहीं चलेगा.  पार्टी देनी होगी,” राकेश ने हंसते हुए कहा तो सभी लोग पार्टी…पार्टी’ चिल्लाने लगे.

 “हांक्यों नहीं.  जब और जहां आप सब कहें,”  अमित ने भी हंसते हुए जवाब दिया.

 “सरबुर्ज खलीफा में एक बड़ा अच्छा इटालियन रेस्टोरेंट है.  उस से अच्छा इटालियन खाना पूरे दुबई में कहीं नहीं मिलेगा,”  नवेद ने एक रेस्टोरेंट का नाम सुझाया.

 “हांमैं भी वहां जा चुका हूं.  वाकई वह दुबई का नंबर वन रेस्टोरेंट है,” वर्मा जी ने नवेद से सहमति जताते हुए कहा.

 “फिर तो पार्टी वहीं होनी चाहिए.  वैसे भीहमारे अमित सर हर बात में नंबर वन हैं तो पार्टी भी नंबर वन रेस्टोरेंट में होनी चाहिए,”  यासिर ने उंगली से एक नंबर का इशारा करते हुए कहा तो सब के साथसाथ अमित भी हंसने लगा.

 “सही में. सर,  यू आर द बेस्ट एंड नंबर वन,”  पन्नेलाल ने अमित की तारीफ करते हुए कहा.

 “सरआप तो स्कूल कालेज में भी हमेशा नंबर वन रहे होंगे,” आबिद ने कहा तो अमित की हंसी को मानो ब्रेक लग गया.  एकदम से उस को राहुल की याद आ गई.

 राहुल.  अमित के पूरे जीवन में एकमात्र ऐसा व्यक्ति जो कभी उस से आगे निकला हो.  वह भी एकदो बार नहींपूरे 4 साल वह क्लास में पहले नंबर पर आता रहा और अमित दूसरे नंबर पर. फिर पूरे दिन अमित का मन खिन्न सा रहा.  रहरह कर उस को अपने स्कूल और राहुल की याद आती रही.  रात को बिस्तर पर लेटने के बाद भी नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी.  ऐसा लग रहा था मानो कल की ही बात हो जब वह पहली बार दिल्ली पब्लिक स्कूल आया था.  8वीं कक्षा तक की पढ़ाई उस ने देहरादून के सब से मशहूर दून पब्लिक स्कूल से की थी.  उस के पापा बड़े सरकारी अफसर थे और उन का ट्रांसफर दिल्ली हो गया तो अमित को भी देहरादून से दिल्ली आना पड़ा.

 बचपन से अमित पढ़नेलिखने में बहुत अच्छा था और हमेशा ही क्लास में फर्स्ट आता था.  स्कूल के सारे टीचर उस से बहुत खुश थे.  मनुज सर ने तो भविष्यवाणी कर दी थी कि अमित एक महान वैज्ञानिक या इंजीनियर बनेगा.

 9वीं क्लास में रिजल्ट आने से पहले ही अमित को पूरा विश्वास था कि वह यहां भी फर्स्ट आएगालेकिन जब उस ने रिजल्ट देखा तो उस को मानो एक झटका सा लगा.  उसे अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं आ रहा था कि वह क्लास में दूसरी पोजीशन पर था.  क्लास में ज्यादा किसी से बात न करने वाला राहुल फर्स्ट आया था. उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि बिजनौर जैसे छोटे शहर से आया राहुल कभी उसे पछाड़ कर फर्स्ट आ सकता है.

 अब तो मानो अमित पर एक जनून सा छा गया.  भले ही इस बार राहुल तुक्के से फर्स्ट आ गया हो लेकिन अगली बार वह उस को अपने आसपास भी नहीं आने देगा.  अमित ने पढ़ाई में अपनी पूरी ताकत लगा दी.  10वीं की परीक्षा में उस ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दियालेकिन नतीजा वही निकला.  राहुल न केवल क्लास में बल्कि स्कूल के साथसाथ पूरे देश में फर्स्ट आया था और अमित सेकंड.

 अमित के मम्मीपापा उस की सफलता पर बेहद खुश थेलेकिन अमित तो दुनिया का सब से दुखी इंसान बना हुआ था.  पूरे दिन वह अपने कमरे से बाहर नहीं निकला.  उस के मम्मीपापा ने उस को बहुत समझाया कि सेकंड आना कोई विफलता नहीं हैलेकिन अमित पर इन सब बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा.  अब उसेबसएक ही बात कचोट रही थी कि वह राहुल से पीछे कैसे रह गया.

 एक बार फिर से अमित ने अपनेआप से वादा किया कि वह इस बार जरूर फर्स्ट आएगा.  वह फिर से पढ़ाई में डूब गया.  अगले 2 साल अमित ने सबकुछ भुला दियादोस्तमूवीजक्रिकेटसबकुछ.  उस का एक ही लक्ष्य थाक्लास में फर्स्ट आना.  लेकिन प्रकृति को तो कुछ और ही मंजूर था. न सिर्फ 11वीं बल्कि 12वीं क्लास में भी राहुल ही फर्स्ट आया था और अमित सेकंड.  अमित बुरी तरह टूट चुका था.  99 प्रतिशत से भी ज्यादा अंक लाने के बाद भी वह दुखी था. कई बार उस के मन में स्वयं को समाप्त कर लेने का विचार आयालेकिन मम्मीपापा का ध्यान आते ही उस ने ऐसा कुछ भी करने का विचार त्याग दिया.

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