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नहीं तो कईकई सालों तक लोग लगे रहते हैं, बच्चे नहीं होते हैं. कहीं जमीन उपजाऊ नहीं होती है, तो कहीं बीज श्रेष्ठ नहीं होता. तुम्हें अपनों में ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे.’

मेरे पास उन की इन बातों का कोई जवाब नहीं होता था. सच में, मैं उन के पास कभी नहीं गई थी. क्यों? इस बात का उत्तर खोजती रही हूं. बचपन से शरीर को ढकढक कर रखती थी. शायद, हर लड़की ऐसा ही करती है. जानती थी, एक दिन शादी होगी और इस सुंदर काया

को अपने पति को समर्पित करना पड़ेगा. फिर भी मैं मन के भीतर के इस संस्कार से उभर नहीं पाई थी कि पति भी पराया मर्द होता है. मैं ने कभी इन का साथ नहीं दिया. कोई मर्द मुरदा औरत को क्यों प्यार करेगा. यह कैसा बेतुका संस्कार है? शादी के बाद पतिपत्नी एक होते ही हैं? इस का उत्तर मिल जाने के बाद भी उन के पास कभी नहीं गई थी.

'मैं मानती हूं, वे मुझ से हमेशा अतृप्त रहे. मैं भी कभी तृप्त नहीं हुई. उन के जाने के बाद अब ऐसा महसूस करने का कोई फायदा नहीं है. वे मुझ से सदा दुखी रहे. जब भी मौका मिला, पुरानी बातों को ले कर मैं ने उन को लताड़ा था. कईकई दिन, कईकई महीने हम दोनों के बीच अनबन रहती थी. फिर कभी रात को मेरे पास आ जाते, तो जिंदगी नार्मल हो जाती थी. मेरी ओर सेकोशिश न होना क्या सही था? बस इसी प्रश्न का उत्तर नहीं मिलता था. सब याद कर के आंखों के कोर फिर गीले हो गए थे.

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