लेखक-नम्रता सरन “सोना”
रात को तकरीबन 2 बजे मोबाइल की घंटी सुन कर आशी का दिल हिल गया.
“ह… ह… हैलो…”
“मिस्टर अरूण इज नो मोर, बौडी आप को नहीं मिलेगी, उन्हें इलैक्ट्रिक विधि से जलाया जाएगा.”
“पापा…”
हाथ से मोबाइल छूट गया और आशी कटी पतंग की तरह निढाल बैड पर गिर पड़ी. घबराहट और बैचेनी में एक झटके में उस की आंखों के सामने घटनाक्रम घूमने लगा…
“बेटा, पापा का बुखार उतर नहीं रहा है, टाइफायड का इलाज चल रहा है लेकिन सब कह रहे हैं कि कोविड टैस्ट भी करवा लो,” नंदिताजी ने फोन पर आशी से कहा.
“मम्मी, करवाओ न… इतना इंतजार करने का क्या मतलब है,”आशी बैचेनी से बोली.
“बेटा, अमित की कल की फ्लाइट है, वह कल रात तक ही यहां पहुंच पाएगा, मेरी तबीयत भी ठीक नहीं लग रही, अकेले कैसे मैनेज करूं, कुछ समझ नहीं आ रहा,” नंदिताजी उदास सी बोलीं.
“मम्मी, चिंता मत करो, मैं आ जाती हूं, जतिन वर्क फ्रौम होम के कारण घर पर ही हैं, बच्चों को देख लेंगे, मैं थोड़ी ही देर में पहुंचती हूं,” आशी ने कहा और फोन काट कर चलने की तैयारी करने लगी.
“जतिन, पापा की तबीयत ज्यादा खराब है, उन का टैस्ट करवाना पड़ेगा. हो सकता है कि अस्पताल में भरती कराने की नौबत आ जाए. मम्मी अकेले घबरा रहीं हैं, अमित कल रात तक आ जाएगा, लेकिन अभी उतना इंतजार नहीं कर सकते, इसलिए मैं मम्मी के पास जा रही हूं, आप यहां मैनेज कर लेंगे न?” आशी ने अपने पति जतिन से कहा.
“श्योर आशी, तुम जाओ, आई विल मैनेज, डोंट वरी,” जतिन ने हौसला देते हुए कहा.
“थैंक्स जतिन, मैं निकलती हूं, ताकि जल्दी पहुंच कर पापा का चैकअप करा सकूं,”आशी ने कहा.
आशी अपनी कार से गुरूग्राम से गाजियाबाद के लिए निकल पड़ी.हालांकि लौकडाउन के चलते कई जगह चैकिंग चल रही थी, आशी ने इमरजैंसी बता कर जैसैतैसे घर तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की.
घर पहुंचते ही अपने पापा के पास पहुंची, हालांकि कोविड की सभी सावधानियों के साथ ही वह पापा से मिली.
“पापा, कैसे हैं आप?”
“देख ले बेटा खुद ही, कैसा हूं मैं.. तुम ने कभी मुझे यों बिस्तर पर लेटे हुए देखा है क्या?” अरुणजी बहुत ही उदासीनता के साथ बोले.
“पापा, यू आर माई सुपरस्टार, इतने में आप घबरा नहीं सकते. पापा, हम आज कोविड का टैस्ट भी करवा लेते हैं, ताकि अगर ऐसा कोई इंफैक्शन हो तो जल्द ही इलाज शुरू हो जाए और मेरे पापा जल्दी से अच्छे हो जाएं,” आशी ने पापा से कहा.
“बेटा, पता नहीं क्यों, पर मुझे लग रहा है कि अब मैं अच्छा नहीं हो पाऊंगा,” अरूणजी की आंखों की कोर से आंसू लुढ़क गए.
“देख न आशी, तुम्हारे पापा कैसीकैसी बातें कर रहे हैं, इस से मेरा दिल बैठा जाता है,” तभी नंदिताजी रुंआसी हो कर बोलीं.
“क्या पापा, इतनी सी बीमारी में इतना डिप्रैशन… यह ठीक नहीं है पापा, थिंक पौजिटिव ऐंड बी हैप्पी, आप जल्दी ही बिलकुल ठीक हो जाएंगे. चलो…चलो…अब मैं पैथालौजिस्ट को कौल कर के उसे बुला रही हूं, ताकि टैस्ट जल्दी हो सके,” आशी ने मोबाइल निकालते हुए कहा.
कुछ ही देर में पैथालौजिस्ट अरूणजी के सैंपल ले गया और बता गया कि रिपोर्ट 36 घंटों में आएगी.अब इंतजार करने के अलावा अन्य दूसरा कोई रास्ता नहीं था.
“मम्मी, आप थोड़ा आराम कर लो, पापा को मैं देख रही हूं, भैया का फोन आया था, मैं ने उन्हें बता दिया है कि पापा का टैस्ट हो गया है, रिपोर्ट 36 घंटे बाद आएगी. वे बता रहे थे कि उन्होंने भाभी और आर्यन को कानपुर, उन के मायके भेज दिया है, क्योंकि यहां लाना भी सेफ नहीं था. वे खुद कल रात तक यहां पहुंच जाएंगे.
“चलिए मम्मी, अब आप थोड़ा सो जाओ, कहीं आप की तबीयत न बिगड़ जाए,” आशी ने मां को आराम करने की सलाह देते हुए कहा.
“तू कहती है तो लेट जाती हूं, पर नींद कहां आने वाली, दिमाग में यही सब चल रहा है, क्या माहौल चल रहा है, हरकोई दहशत में है, क्या होगा पता नहीं…
“अरे सुन, तू डबल मास्क लगा कर रखना और बारबार सैनिटाइजर से हाथ साफ करती रहना. बेटा, पूरी सावधानी बरतना, क्योंकि जब तक पापा की रिपोर्ट न आ जाए, हमें सावधान ही रहना चाहिए,” नंदिताजी आशी को हिदायत देते हुए बोलीं.
आशी ड्राईंगरूम में बैठ गई, बीचबीच में उसे पापा की खांसी की आवाज सुनाई दे रही थी. वह बैचेन हो उठती, मन में यही डर समाया हुआ था कि कहीं पापा की कोरोना रिपोर्ट पौजिटिव न आ जाए. मगर इंतजार करने के अलावा अन्य कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं था.
तभी मोबाइल बजा. आशी ने देखा जतिन का कौल है.
“हैलो, हां सौरी जतिन, मैं यहां पहुंच कर आप को बताना भूल गई. पापा का टैस्ट हो गया है, रिपोर्ट परसों सुबह तक आएगी,” आशी बोली.
“ओके आशी, टेक केयर यूअर सैल्फ, सब ठीक ही हो जाएगा, तुम यहां की चिंता मत करना ओके,” जतिन ने संबल बढाया.
“थैंक्यू सो मच जतिन, आप लोग भी अपना ध्यान रखना,”आशी ने कहा.
“ओके डियर, बाय, टेक केयर.”
“बाय…” आशी ने फोन डिसकनैक्ट कर दिया.