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मम्मी रेखा और पापा विनय की इकलौती संतान है पीहू. दिल्ली के कीर्तिनगर बाजार में फर्नीचर का अच्छा शोरूम है उन का. कीर्तिनगर में ही 300 गज की दोमंजिली कोठी है उन की. कुल मिला कर पीहू अमीरी में पलीबढ़ी है. सारे ऐशोआराम मिले हैं उसे. मम्मीपापा की तो जान है वह.

पीहू पढ़ाईलिखाई में ठीकठाक थी. रचनात्मकता की उस में कमी नहीं थी. इसलिए स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए के बाद जेडी इंस्टिट्यूट औफ फैशन टैक्नोलौजी से उस ने 2 साल का इंटीरियर डिजाइन का पीजी डिप्लोमा किया.

पीहू ने कई बड़ी कंपनियों में अपना सीवी पोस्ट किया था. अगले हफ्ते के लिए उसे गुरुग्राम स्थित एक बड़ी फर्म से इंटरव्यू कौल आई हुई थी. पीहू ने अभी तक तय नहीं किया कि वह जाएगी भी या नहीं.

खैर, पीहू ने अपने कमरे में आ कर कपड़े चेंज किए और बैड पर लेट गई. सच में, मौल घूम कर वह काफी थक गई थी. पता नहीं क्यों उस की आंखों के आगे बारबार हर्ष का चेहरा आ रहा था. थकावट के मारे नींद नहीं आ रही थी. वह उठ कर बैठ गई और अपना मोबाइल चैक करने लगी. मोबाइल पर ही फेसबुक देखने लगी. हर्ष ने फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजी हुई थी. पीहू ने झट एक्सैप्ट कर ली. उस के बाद वह मोबाइल साइड में रख कर सो गई.

सीमा के ही बहुत कहने पर वह इंटरव्यू के लिए चली गई. मल्टीनैशनल कंपनी थी. पीहू का क्रिएटिव वर्क उन्हें बहुत पसंद आया. उन्होंने पीहू को अच्छा पैकेज औफर किया और कंपनी जौइन करने के लिए कहा. पीहू को ऐसी बिलकुल उम्मीद नहीं थी. अपने बलबूते पर पहले इंटरव्यू में ही सेलैक्शन हो जाना काफी बड़ी बात थी. पीहू ने हां कहने में देर नहीं लगाई.

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