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‘‘इतना ही नहीं, मेरी मम्मी की 4 मौसियां हैं और पापा के 3 मामा हैं. मेरे कजिंस से मिलोगी तो लगेगा किसी गैंग से मिल रही हो. सब एक से बढ़ कर एक हैं. लेकिन हम सब में बहुत प्यार है. व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया हुआ है हम ने. सभी अपनी सारी बातें सब से शेयर करते हैं. और वो...’’

‘‘अरे, अरे, और भी है अभी बताने को?’’ पीहू आंखें फैला कर बोली, ‘‘हर्ष, इतना बड़ा परिवार. बाप रे. कैसे संभालते हो सब रिश्तेनाते. रोज किसी का कुछ न कुछ लगा ही रहता होगा. याद कैसे रखते हो. और एक मेरी फैमिली है उंगली पर गिना सकती हूं सब को.’’

‘‘पीहू, तुम से मिल कर, तुम्हारी बातें, तुम्हारी आदतें सब देख कर मुझे लगा कि तुम मेरे लिए ही नहीं, मेरी फैमिली के लिए भी परफैक्ट हो.

‘‘अब बोलो, बनोगी मेरी फैमिली का हिस्सा?’’ हर्ष पीहू को अपनी बांहों में भरते हुए बोला.

‘‘बिलकुल बनूंगी. मैं आज ही तुम्हारे बारे में मम्मीपापा को बताती हूं,’’ पीहू ने हर्ष को प्यारभरा किस किया और फिर ‘बाय’ कहती हुई अपनी गाड़ी से घर चली गई.

पीहू ने घर आ कर हर्ष के बारे में मम्मीपापा को बताया. उन्हें सब ठीक लगा लेकिन सूई परिवार पर आ कर रुक गई.

मम्मी बोलीं, ‘‘पीहू, इतना बड़ा परिवार है, तेरे लिए सब निभाना मुश्किल हो जाएगा, बेटा. हर्ष तो तुझ से यही अपेक्षा रखता है कि तू उस के परिवार में आ कर उन जैसी बन जाए लेकिन बेटी, हमारे घर का माहौल और उन के घर का माहौल बिलकुल अलग होगा. तू कैसे सब निभाएगी?’’

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