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लेखक-डा. भारत खुशालानी,

विमान 7,000 फुट की ऊंचाई पर उड़ रहा था, दौड़पथ बिलकुल सामने था, शहर की इमारतें कुछ दूरी पर टिमटिमा रही थीं. कुछ ही सैकंडों में वायुयान के चालक स्थान में घंटियां बजने लगीं.

ये घंटियां विमान की अलगअलग प्रणालियों की विफलताओं की चेतावनी दे रही थीं. चालक स्थान लाल बत्तियों से चमक उठा था. हर लाल बत्ती किसी न किसी प्रणाली के खराब होने का संकेत था.

दुर्भाग्यवश, जिस समय विमान के इंजन को आग लगी और विमान को तेज झटका लगा, ठीक उसी समय विमान में आकृति की सहचालिका इंदरजीत कौर अपनी सहचालक की सीट से उठी, शायद टायलेट जाने के लिए. जैसे ही वह उठी, विमान को जोर का झटका लगा. इंदरजीत अपना संतुलन खो बैठी और अपनी ऊंचाई की वजह से उस का सिर कौकपिट की एकदम कम ऊंचाई वाली छत से टकरा गया. उस के सिर पर चोट आ गई और इंदरजीत वहीं बेहोश हो गई.

सहचालिका इंदरजीत कौर को बेहोश होते देख पहले तो आकृति को लगा कि ऐसी विकट परिस्थितियों में जो काम सहचालिका का होता है, वो काम वह कैसे कर पाएगी? और इतना ही नहीं, अब दोनों का काम उसे ही करना पड़ेगा.

इंजन में आग लगने की परिस्थिति में जांच सूची निकालना सहचालक का काम होता है. लेकिन इंदरजीत कौर को निश्चेत पा कर आकृति ने खुद ही जांच सूची निकाली.

किसी भी विमान में किसी भी प्रकार की खराबी आ जाने पर विमान के चालक को इस सूची के निर्देशों के अनुसार जाना पड़ता है. इंजन में आग लगने से अपने अंदर की बढ़ती दहशत को दबाने के लिए आकृति ने इस जांच सूची पर अपना ध्यान केंद्रित करना उचित समझा और इस सूची में से वह भाग निकाला, जिस में इंजन में आग लगने पर चालक को क्या करना चाहिए, इस के बारे में लिखा था.

आकृति ने वही किया, जो इस में लिखा था. उस ने बाईं ओर के इंजन की तरफ जाने वाले ईंधन को बंद कर दिया और बाईं इंजन की तरफ जाने वाली बिजली की कटौती कर दी. लेकिन इस से विमान बेतुकेपन से उड़ते हुए तीव्रता से मुड़ने लगा.

विमान के चालक स्थान में लगे कांच में से नजर आने वाला शाम का आसमान अब बगल की खिड़की से नजर आने लगा था. आकृति विमान को सीधा करने के लिए जूझती रही. किसी भी तरह से विमान को सीधा कर के उसे मार्ग पर लाना था. लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई.

विमान को उडाना आकृति के लिए लगभग असंभव हो गया था. विमान एक तरफ की ओर झूलने लगा था, और जब आकृति ने उसे केंद्र में लाने की कोशिश की तो वह दूसरी ओर झुकने लगा.

आकृति को ऐसा लगा कि वह वातावरण के साथ कुश्ती खेल रही है और इस कुश्ती में काफी दम लग रहा था और उस की ताकत की खपत हो रही थी. और फिर उस के दिल की धड़कन थोडा रुक सी गई, जब उसे महसूस हुआ कि शायद विमान का इंजन बंद हो गया है और विमान रुक गया है.

विमान का ‘स्टौल’ एक ऐसी अवस्था होती है, जिस में ऐसा प्रतीत होता है कि विमान रुक सा गया है और शायद अब आसमान से नीचे गिर जाएगा. जब विमान उड़ रहा होता है, तो उस के पंखों के ऊपर की हवा कम दबाव की होती है, जो विमान को ऊपर की ओर खींचती है, और पंखों के नीचे की हवा उच्च दबाव की होती है, जो विमान को ऊपर की ओर धकेलती है. दोनों का नतीजा यह होता है कि विमान ऊपर की ओर उड़ने लगता है. जब विमान सीधा उड़ रहा होता है, तो उस के पंखों के ऊपर और नीचे की यह हवा विमान के पूरे वजन को ऊपर उठा कर रखने में सक्षम रहती है और पंखों पर से हवा का प्रवाह सहज बना रहता है.

आकृति ने पूरी कोशिश की थी कि विमान की यह समतल उड़ान बनी रहे. लेकिन लाल बत्तियों की अफरातफरी में उसे शायद महसूस ही नहीं हुआ था कि विमान की नाक वाला भाग ऊपर उठ गया है और पीछे की तरफ का भाग नीचे झुक गया है.

जैसेजैसे विमान के सामने का भाग ऊपर की ओर उठ रहा था, वैसेवैसे विमान में उस के वजन और बाहर की हवा के दबाव का संतुलन बिगड़ रहा था. वजन और दबाव का संतुलन बिगड़ने से विमान अस्थिर होता जा रहा था.

चेतावनी देती घंटियों के शोर में आकृति को इस बात का पता देर से चला. विमान के सामने की ओर का नाक का भाग शायद इतना ऊपर उठ गया था कि विमान ‘स्टौल’ की खतरनाक अवस्था में पहुंच गया था.

आकृति ने मन ही मन कहा कि ऐसा ना हो, ‘स्टौल’ की अवस्था में उस के विमान के बाहर की हवा का दबाव इतना कम हो जाने के आसार थे कि वह विमान के भार को आसमान में बनाए रखने में नाकाम हो जाए.

अगर ऐसा हुआ, तो ‘स्टौल’ के कारण विमान की ऊंचाई गिरती जाएगी. आकृति के दिमाग में यह बात सब से ऊपर थी कि ‘स्टौल’ होने पर विमान के पंखों पर चलने वाली हवा विमान को ऊपर उठाने में नाकाम हो जाएगी.

आकृति ने अपने अनुभव से अनुमान लगाया कि पंखों के ऊपर से हवा बहुत ही कम रफ्तार से जा रही थी. विमान की धातु का ढांचा चीखने और कराहने लगा. इस्पात की भयावह ध्वनि भयंकर संकट का संदेश थी.

आकृति ने सोचा, ‘अगर मुझे तुरंत विमान की गति बढ़ाने का कोई रास्ता नहीं मिला तो विमान तेजी से गुरुत्वाकर्षण के कारण जमीन की ओर मुड़ जाएगा और नीचे शहर में गिर जाएगा.’

आकृति की समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे. जिस प्रकार दुपहिया वाहन में दाहिनी हथेली में वाहन की गति बढ़ाने का ‘थ्रौटल’ होता है, उसी प्रकार से विमान में उस की गति बढाने का ‘थ्रौटल’ होता है, जो किसी कार के गियर बदलने वाले हैंडल के जैसा ही होता है.

कार में यह हैंडल चालक के बाईं ओर होता है, जिस से वह अपने बाएं हाथ से गियर बदल सके, जबकि विमान में थ्रौटल विमान चालक के दाईं ओर होता है, ताकि चालक दाएं हाथ से थ्रौटल का इस्तेमाल कर सके.

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