लेखक-डा. भारत खुशालानी
आकृति थोडा असमंजस में थी कि थ्रौटल को उस ने खुद थोड़ा पीछे की ओर खींचा था, इसीलिए विमान की गति कम हो गई थी या स्टौल की खतरनाक स्थिति से गति कम हो गई थी.
जो भी कारण रहा हो, उस को लगा कि अब थ्रौटल को आगे की ओर धकेल कर विमान की गति बढ़ानी चाहिए. अगर वह थ्रौटल को आगे की ओर ठेल कर विमान की गति बढाने में कामयाब हो जाती है, तो वह विमान को ऊपर ले जाने में कामयाब हो जाएगी, और दौड़पथ के ऊपर हवा में एक चक्कर लगा कर, विमान को स्थिर कर, वापस नीचे उतारने का प्रयास कर सकती है.
उस के मन में आशंका जागी कि क्या विमान का एकमात्र बचा हुआ इंजन विमान की इस चढ़ाई को संभाल पाएगा या सिर्फ दाईं ओर के इंजन के तनाव के तहत विफल हो जाएगा.
एक और उपाय यह था कि गति बढ़ाने के अपने असफल प्रयास में आकृति विमान की उतराई को अधिक ढालू कर दे, जिस से विमान तेजी से नीचे की ओर जाने लगे. नीचे की ओर गोता लगाने की इस प्रक्रिया से उत्पन्न गिरता हुआ वेग शायद स्टौल की दशा को टाल दे और विमान को वापस अपने व्यवस्थित मार्ग पर लाए.
बेशक, इस का नतीजा यह हो सकता था कि विमान को समतल बनाने के बजाय आकृति अपने विमान को तेजी से आपदा की ओर धकेल रही हो. अगर विमान को तेजी से नीचे ले जाते समय वह वापस विमान का नियंत्रण हासिल नहीं कर पाई तो विमान कुंडलीदार चक्करों की चपेट में आ जाएगा. ऐसे गोल घूमने की स्थिति से उत्पन्न गुरुत्वाकर्षण बल इतना तीव्र हो जाएगा कि जमीन पर पहुंचाने से पहले ही विमान टूट कर बिखर जाएगा.
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