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कार्तिकेय चाहते थे कि उन का बेटा उन की तरह इंजीनियर बन कर देश के नवनिर्माण में सहयोग करे. 12वीं में उसे गणित और जीवविज्ञान दोनों विषय दिलवा दिए गए ताकि जिस ग्रुप में उस के अंक होंगे उसी में उसे दाखिला दिलवा दिया जाए. मगर परिवार का कोई भी सदस्य उस मासूम की इच्छा नहीं पूछ रहा था कि उसे क्या बनना है. उस की रुचि किस में है? मैं तो मूकदृष्टा थी. डर था तो केवल इतना कि वह कहीं दो नावों में सवार हो कर मंझधार में ही न गिर जाए? बस, मन ही मन यही सोचती कि जो भी अच्छा हो, क्योंकि आज प्रतियोगिताओं के दायरे में कैद बच्चे अपनी सुकुमारता, चंचलता और बचपना खो बैठे हैं. प्रतियोगिताओं में उच्च वरीयताक्रम के बच्चे ही सफल माने जाते हैं बाकी दूसरे सभी असफल. हो सकता है कि उन की तथाकथित असफलता के पीछे मानसिक, पारिवारिक और सामाजिक कारण रहे हों, लेकिन आज उन की समस्याओं के समाधान के लिए समय किस के पास है? असफलता तो असफलता ही है, उन के मनमस्तिौक पर लगा एक अमिट कलंक.

घंटी बजने की आवाज सुन कर मैं ने दरवाजा खोला तो अनुज को खड़ा पाया. परीक्षाफल के बारे में पूछने पर वह बोला, ‘मालूम नहीं, ममा, बहुत भीड़ थी इसलिए देख ही नहीं पाया.’

दोपहर में कार्तिकेय उस के कालिज जा कर मार्कशीट ले कर आए. मुंह उतरा हुआ था, देख कर मन में खलबली मच गई. किसी अनहोनी की आशंका से मन कांप उठा, ‘क्या हुआ? कैसा रहा रिजल्ट?’ बेचैनी से मैं पूछ ही उठी.

‘पानी तो पिलाओ, मुंह सूखा जा रहा है,’ कार्तिकेयने पानी मांगते हुए कहा था.

पानी ले कर आई तो कार्तिकेय ने सुमित की मार्कशीट मेरे सामने रख दी. सभी विषयों में कम अंक देख कर मुंह से निकल गया, ‘यह मार्कशीट अपने सुमित की हो ही नहीं सकती. रोल नंबर उसी का है न?’ अविश्वास की मुद्रा में मुंह से निकल गया.

‘क्यों बेवकूफों जैसी बातें करती हो, मार्कशीट भी उसी की है, नाम और रोल नंबर भी,’ वह फिर थोड़ा रुक कर बोले, ‘अच्छा हुआ, मांपिताजी कानपुर दीदी के पास गए हैं वरना ऐसे नंबर देख उन के दिल पर क्या गुजरती?’

‘रिचैकिंग करवाएंगे,’ उन की बात अनसुनी करते हुए उमा ने कहा.

‘रिचैकिंग से क्या होगा? हर सब्जेक्ट में तो ऐसे ही हैं. गनीमत है पास हो गया, लेकिन ऐसे भी पास होने से क्या फायदा?’ कार्तिकेय, फिर थोड़ा रुक कर बोले, ‘तुम्हारी सोशल विजिट भी बहुत हो गई थी उन दिनों, उसी का परिणाम है यह रिजल्ट.’

कार्तिकेय का इस समय उस पर आरोप लगाना पता नहीं क्यों उमा को बेहद अनुचित लगा था किंतु स्थिति की गंभीरता को समझ कर, उस के आरोपों पर ध्यान न देते हुए उमा ने पूरे भरोसे के साथ किंतु धीमे स्वर में कहा, ‘यह रिजल्ट उस का है ही नहीं. क्या आप सोच सकते हो कि वह एकाएक इतना गिर जाएगा?’

‘तुम्हारे कहने से क्या होता है, जो सामने है वही यथार्थ है,’ कार्तिकेय ने एकएक शब्द पर बल देते हुए कहा. वह अनुज को सामने पा कर फिर बोल उठे, ‘इन को तो हीरो बनने से ही फुरसत नहीं है. एक ने तो नाक कटा दी और दूसरा शायद जान ही ले ले,’ कह कर वह आफिस चले गए.

अनुज सिर नीचा कर के अपने कमरे में चला गया. मां को गुस्से में उलटासीधा बोलते तो उस ने जबतब सुना था, किंतु पिताजी को इतना अपसेट नहीं देखा था. मां पहले कभी उन के सामने कभी कुछ कहतीं तो वह उन का पक्ष लेते हुए कहते, ‘बच्चे हैं, अभी शैतानी नहीं करेंगे तो फिर कब करेंगे, रोनेपीटने के लिए तो सारी जिंदगी पड़ी है.’

तब मां बिगड़ कर कहतीं, ‘चढ़ाओ, और चढ़ाओ अपने सिर. कभी अनहोनी हो जाए तो मुझे दोष नहीं देना.’ तो वह कहते, ‘अनहोनी कैसे होगी? मेरे बच्चे हैं, देखना नाक ऊंची ही रखेंगे.’ फिर हमारी तरफ मुखातिब हो कर कहते, ‘बेटा, कभी मुझे शर्मिंदा मत करना, मेरे विश्वास को ठेस मत पहुंचाना.’

आज वही डैडी सुमित भैया के परीक्षाफल को देख कर इतने दुखी हैं? वैसे उन के रिजल्ट पर तो उसे भी भरोसा नहीं हो रहा था. ‘कभी किसी दिन यदि कोई पेपर खराब भी होता तो उसे अवश्य बताते, कहीं कुछ गड़बड़ तो अवश्य हुई थी, कहीं कंप्यूटर में तो माव्फ़र्स फीड करने में किसी ने गड़बड़ी तो नहीं कर दी—?’ सवाल मस्तिष्क में कुलबुला तो रहे थे किंतु कोई समाधान उस के पास न था.

तभी फोन की घंटी बज उठी. फोन अमिता आंटी का था. अनुज मम्मी के कमरे में गया तो देखा, मम्मी सुबक रही हैं, उन को फोन देना उचित न समझ कर कह दिया कि वह सो रही हैं. परीक्षाफल पूछने पर कह दिया कि ‘पता नहीं’. वह जानता था कि वह कालोनी की इनफारमेशन सेंटर हैं. हर घर के समाचार उन के पास रहते हैं और पल भर में ही सब के पास पहुंच भी जाते हैं. पता नहीं उन को सब की घरेलू जिंदगी में इतनी दिलचस्पी क्यों रहती है? वैसे जब से उन की एकलौती पुत्री ने घर से भाग कर लव मैरिज की है तब से वह थोड़ा शांत जरूर हो गई हैं, लेकिन आदत तो आदत ही है, फोन रखने के बाद मम्मी ने अनुज से पूछा, ‘किस का फोन था?’

‘अमिता आंटी का.’

‘क्या कहा तू ने?’

‘कह दिया अभी पता नहीं चला है, डैडी ने किसी को भेजा है.’

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