‘‘देहरादून के सिर पर ताज की तरह विराजमान मसूरी की अपनी निराली छटा है. सागर तल से लगभग 2,005 मीटर की ऊंचाई पर 65 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली मसूरी से एक ओर घाटी का मनोरम दृश्य दिखाई देता है तो दूसरी ओर बर्फीले हिमालय की ऊंचीऊंची चोटियां. मसूरी को ‘पहाड़ों की रानी’ यों ही नहीं कहा जाता.
‘‘यहां के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में गनहिल, कैमल्सबैक रोड, नगरनिगम उद्यान, चाइल्ड्स लौज, झड़ीपानी निर्झर, कैंप्टी फौल, धनोल्टी प्रमुख हैं.’’
गाइड अपनी लच्छेदार भाषा में रटारटाया भाषण दिए जा रहा था. अधिकतर यात्री एकाग्रचित्त हो कर सुन रहे थे, लेकिन कुछ लोग खिड़की से बाहर मनोहर और लुभावने दृश्य देख रहे थे.
अचानक ईशान ने महसूस किया कि कुछ गड़बड़ है. उस के पास बैठी लड़की की आंखों से आंसू टपक रहे थे. वह अपनी सिसकियों को दबाने का असफल प्रयास कर रही थी और इसी ने ईशान का ध्यान आकर्षित किया था. जब पास में बैठी कोई लड़की, जो खूबसूरत भी हो, अगर इतने सुहावने वातावरण के बावजूद रो रही हो तो एक सुसंस्कृत युवक का क्या कर्तव्य बनता है?
ईशान एक अमेरिकन बैंक में योजना अधिकारी था. वेतन इतना मिलता था कि भारत सरकार के उच्च अधिकारियों को भी एक बार ईर्ष्या हो जाती. वर्ष में एक बार 15 दिन की अनिवार्य छुट्टी पूरे वेतन के साथ मिलती थी. स्थान के लिहाज से सब से अच्छे होटल में रहना और सुबह का नाश्ता मुफ्त. घूमनेफिरने और हर दिन के कड़े काम की उकताहट से उबरने के लिए इस से बड़ा प्रोत्साहन और क्या हो सकता है.
ईशान का विवाह पिछले वर्ष बड़े धूमधाम से हुआ था. पत्नी गर्भवती थी और प्रसूति के लिए मायके गई हुई थी. कुछ सहयोगी, जो कुछ समय पहले मसूरी हो कर आए थे, इतनी प्रशंसा कर रहे थे कि उस ने भी मसूरी घूमने का निश्चय किया. वैसे तो घूमनेफिरने का आनंद पत्नी के साथ ही आता है, बिलकुल दूसरे हनीमून जैसा. परंतु इस समय ईशान की पत्नी पहाड़ों पर जाने की स्थिति में नहीं थी इसलिए वह अकेला ही निकल पड़ा था.
मसूरी के एक वातानुकूलित होटल में कमरा पहले से आरक्षित किया जा चुका था. कुछ समय तक कमरे में बैठेबैठे ही खिड़की खोल कर ईशान दूरदूर तक फैली हरियाली और कीड़ेमकोड़ों की तरह दिखते मकानों को निहारता रहा. कभीकभी आवारा बादल कमरे में ही घुस आते थे और तब वह सिहर कर अपनी पत्नी गौरी की कमी महसूस करता.
होटल की स्वागतिका से कह कर ईशान ने आसपास घूमने के लिए बस में सीट आरक्षित करवा ली थी. उस समय वह बस में बैठा हुआ था जब पास बैठी लड़की की सिसकियों ने उस का ध्यान अपनी ओर खींचा.
जब नहीं रहा गया तो उस ने शालीनता से पूछा, ‘‘क्षमा कीजिए, आप को कुछ कष्ट है क्या? क्या मैं आप की कुछ मदद कर सकता हूं?’’
लड़की ने कोई उत्तर नहीं दिया, केवल सिसकती रही. ईशान की समझ में नहीं आ रहा था कि अपने काम से काम रखे या अंगरेजी फिल्मों के नायक की तरह अपना रूमाल उसे पेश करे.
आखिर एक लंबी सांस छोड़ते हुए उस ने कहा, ‘‘देखिए, मैं आप के मामले में कोई दखल नहीं देना चाहता. हां, अगर आप समझती हैं कि एक अजनबी से कुछ मदद ले सकती हैं तो मैं हाजिर हूं.’’
सिसकियां दबाते हुए लड़की ने कहा, ‘‘मेरा सिर चकरा रहा है. मैं कहीं खुली जगह में बैठना चाहती हूं.’’
‘‘ओह, तबीयत खराब है?’’
‘‘नहीं,’’ लड़की ने कराहते हुए कहा.
‘‘तो फिर…’’ ईशान झिझका, ‘‘खैर, मैं अभी बस रुकवाता हूं,’’ सोचा, लड़की की तबीयत खराब होना भी एक नाजुक मामला है.
जब उस ने थोड़ी चहलपहल वाली जगह पर बस रुकवाई तो सारे पर्यटक आश्चर्य से उसे देखने लगे.
लड़की के हाथ में केवल एक पर्स था, वह झट से उतर गई. ईशान अपनी सीट पर बैठने ही वाला था कि उसे कुछ बुरा लगा. सोचने लगा कि अकेली मुसीबत में पड़ी लड़की को यों ही छोड़ देना ठीक नहीं. शायद उसे मदद की आवश्यकता हो?
इस से पहले कि चालक बे्रक पर से पैर हटाता, वह अपना बैग उठा कर लड़की के पीछेपीछे उतर गया. बस उन्हें छोड़ कर आगे बढ़ गई.
सड़क के किनारे एक खाली बेंच थी. लड़की जा कर उस पर बैठ गई. फिर उस ने आंखें बंद कर लीं और सिर पीछे टिका लिया. ईशान भी पास ही बैठ गया. पर अब महसूस कर रहा था कि वह किस चक्कर में पड़ गया.
लगभग 2 मिनट की चुप्पी के बाद लड़की ने क्षीण स्वर में कहा, ‘‘मुझे अफसोस है. आप बेकार में ही मेरे लिए इतना परेशान हो रहे हैं.’’
पहली बार ईशान का ध्यान लड़की की टांगों पर गया. वह स्कर्टब्लाउज पहने थी. गोरीगोरी टांगें रेशम की तरह मुलायम लग रही थीं. घुटने से ऊपर तक के मोजे पहने थे, देखने में वे पारदर्शी और टांगों के रंग से मिलतेजुलते थे.
ईशान ने सिर झटका, ‘मूर्ख कहीं का, इस तरह मत भटक.’
‘‘परेशानी तो कुछ नहीं,’’ ईशान ने जल्दी से कहा, ‘‘हां, अगर आप के कुछ काम आया तो खुशी होगी.’’
अचानक लड़की की आंखों से फिर से ढेर सारे आंसू निकल पड़े तो ईशान भौचक्का रह गया.
‘‘मैं अपने मातापिता के साथ कुछ रोज पहले यहां आई थी,’’ लड़की ने सिसकते हुए कहा.
‘‘ओह, ये बात है,’’ ईशान कुछ न समझते हुए बोला.