माही के पापा ने भी भी बिना सोचेसमझे कर्ण के पापा को गुस्से में कह दिया कि मेरी बेटी तंग आ कर ही यहां आई है। आप के परिवार को नहीं बल्कि आप के बेटे की इनकम को देख कर मैं ने विवाह किया था। आप ने क्या हमारे घर का लाइफस्टाइल नहीं देखा था? आप को क्या लगता है कि आप बहू ले कर गए हैं या
नौकरानी...
माही के पापा की चुभती हुए बातें कर्ण के पिता को भी चुभ गई थीं. फोन रखने से पहले कर्ण के पिता
बोले,"हम ने शादी आप का पैसा देख कर नहीं, आप के परिवार के संस्कार देख कर करी थी। मगर शायद आप के लिए पैसा ही सबकुछ है."
माही ने पूरी बात सुन ली थी इसलिए किलसते हुए अपने पापा से बोली,"पापा, मैं खुद हैंडल कर लेती।
आप ने तो बात और खराब कर दी है।"
माही की मम्मी पूजा बोली,"माही, मुझे या अपने पापा को दोष देना बंद करो। न तुम खुद कर्ण से बात करती हो और न ही हमे कुछ करने देती हो। तुम अपनी शादी से तंग हो कर यहां आई थी, हम ने नहीं बुलाया था।"
माही बोली,"ठीक है, तो जैसे कर्ण कह रहा है मैं वापस चली जाती हूं,"माही अपने कमरे में बंद हो गई थी. उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे और क्या नहीं.
कर्ण न जाने क्यों शुरू से ही उस के पापा सिद्धार्थ से खिंचाखिंचा रहता था. कर्ण को यह गलतफहमी रहती थी कि माही के परिवार को अपने पैसे और रुतबे पर बहुत अहंकार है. इसलिए कभीकभी माही को लगता कि कर्ण जानबूझ कर उसे तंग करता है.