'इस बार आप इतने दुखी क्यों हो? आप को क्या हो गया है? इस से पहले आप को इतना परेशान कभी नहीं देखा था. आप की हंसी कहां चली गई? इस बार छुट्टियों में जब से आप आए हो, न तो स्वयं चैन से हो और न दूसरों को चैन से जीने दे रहे हो,' पत्नी अमृता की पीड़ा मानों उस की जुबां पर आ रही थी. उस ने अपने पति को पहले इतना बेसुध कभी नहीं देखा था. वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे. विश्वविद्यालय के शिक्षक थे.

 

भावी पीढ़ी को तैयार करना जिन का मुख्य उद्देश्य था, उस की यह स्थिति सचमुच चिंताजनक थी. उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? इतना प्यार करने वाला पति इतनी उपेक्षा करेगा, यह कभी सोचा नहीं था. यह सोचते हुए कब नींद आ गई पता ही नहीं चला.

 

सुबह उठी तो वह बाथरूम में थे. नाश्ता तैयार कर के लाई तो कौन कहे नाश्ता करने को, वह तो नाश्ते की तरफ देख भी नहीं रहे थे. कुछ पूछो तो एकटक देखने के सिवा कुछ बोलते नहीं थे. उन की स्थिति एक चुप हजार चुप जैसी थी.

 

मैं उस के व्यवहार में आए बदलाव से आश्चर्यचकित थी. मैं क्षणभर के लिए अतीत के सुनहरे ख्वाबों में खो गई. उन के अगाध प्यार को पा कर मेरी खुशी का ठिकाना न था. मायके की सुखसुविधा भी याद नहीं रही. 12वीं पास मुझे किस प्रकार बीए और एमए इतिहास में कराया. देखतेदेखते मैं ने नेट की परीक्षा दी और प्रथम प्रयास में पास कर ली. यह सब इन की तपस्या का परिणाम था कि मैं असिस्टैंट प्रोफैसर बनने की योग्यता प्राप्त कर ली. मेरी खुशी का ठिकाना न था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...